ऋतु नौटियाल
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल होने से बचाने के लिए कुलपति डॉ पीपी ध्यानी एक्शन मोड में आ गए है। उन्होंने न्यूज पोर्टल संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मन बनाते हुए विधिक राय लेना शुरू कर दिया है। कुलपति डॉ ध्यानी ने खबर मेें प्रकाशित तमाम बातों को तत्थहीन और निराधार बताया।
बताते चले कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी बेहद ही ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ है। कुलपति डॉ ध्यानी विश्वविद्यालय को शिक्षा के क्षेत्र में असीम ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए अथक प्रयासरत है। विश्वविद्यालय को भ्रष्टाचार मुक्तरखते हुए पारदर्शिता से चलाने का कार्य कर रहे है। उनकी इसी कार्यशैली से उनके विरोधी तत्व बुरी तरह से बौखला हुए है। कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने प्रेस को बयान जारी करके बताया कि तीन दिन पहले एक न्यूज पोर्टल में तत्थहीन खबर प्रकाशित की गई। उन्होंने बताया कि पोर्टल में‘‘अम्बे्रला एक्ट का विरोध करवा रहे दून और टिहरी के कुलपति की कुर्सी पर गाज गिरना तय’’ और कल दिनांक 27 सितम्बर 2020 को इसी न्यूज पोर्टल में छपी खबर ‘‘अम्बे्रला एक्ट का विरोध करवा रहे वीसी शिकंजे में’’ का मैं, डाॅ पीपी ध्यानी, कुलपति, श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल, टिहरी गढ़वाल निम्नानुसार सबल खण्डन कर प्रेस को बयान जारी किया।
उन्होंने बताया कि 03 दिन पूर्व न्यूज पोर्टल में एक खबर छापी गयी कि ‘‘अम्बे्रला एक्ट का विरोध करवा रहे दून और टिहरी के कुलपति की कुर्सी पर गाज गिरना तय’’ और इसमें उल्लेख किया गया कि टिहरी एवं देहरादून के 02 कुलपतियों द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के अम्बे्रला अधिनियम 2020 का विभिन्न माध्यमों से विरोध किया गया। पुनः दिनांक 27 सितम्बर 2020 को उक्त पोर्टल द्वारा ‘‘अम्बे्रला एक्ट का विरोध करवा रहे वीसी शिंकजे में, 2 कुलपतियों की विजिलेंस जांच शुरू,’’ नामक झूठी, मनगढन्त, भ्रामक एवं तथ्यहीन खबर प्रकाशित की गयी। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये खबरें पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर प्रचारित-प्रसारित की जा रही हैं। खबर में आरोप लगाया गया है कि सरकार और उच्च शिक्षा मन्त्रालय को बदनाम करने की मंशा से 2 कुलपतियों द्वारा यह खेल खेला गया। गौरतलब बात तो यह है कि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर सुयोग्य व्यक्ति सरकार द्वारा चयनित किये जाते हैं। ऐसी स्थिति में कैसे कोई कुलपति अपने मंत्रालय एवं सरकार के विरूद्ध षडयन्त्र कर सकता है ? खबर में उल्लेख किया गया है कि अम्बे्रला एक्ट के विरोध में पटकथा 15.09.2020 को लिखी गयी, जिसके लिए 02 कुलपतियों पर सवाल उठाये गये हैं, उसी खबर में उल्लेख है कि एक कुलपति 16.09.2020 को रानीचैरी स्थित आवास में पहुंचे। जब पटकथा 15 तारीख को लिखी गयी तो 16 तारीख को जो कुलपति रानीचैंरी पहुंचे उन्होंने क्या किया ? एक्ट के विरोध में मोटी रकम खर्च किये जाने की भी बात कही गयी है, लेकिन इसका उल्लेख नहीं किया गया कि रकम कहां खर्च की गयी ? जिन पर मोटी धनराशि खर्च की गयी, वे कौन हैं ? और एक्ट के विरोध के लिए क्या करेंगे। और, 15.09.2020 को जिससे फोन पर वार्ता हुयी वह व्यक्ति कौन है और हरिद्वार जनपद के किस शिक्षण संस्थान के स्वामी से वार्ता हुयी इसका भी कोई उल्लेख नही किया गया।
इन खबरों में टिहरी में स्थापित एक विश्वविद्यालय के कुलपति का जिक्र किया गया है, चूंकि कि टिहरी गढ़वाल में अन्य कोई भी विश्वविद्यालय स्थापित/अवस्थित नहीं है, जिससे पूर्णतया यह स्पष्ट हो रहा है कि सम्बन्धित पोर्टल में छपी खबर का स्पष्ट इशारा श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति के विरूद्ध है। यह पोर्टल द्वारा श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति की छवि को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है। यह अवगत कराना है कि श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति के विरूद्ध न्यूज पोर्टल में छपी खबर पूर्णरूपेण मिथ्याजनक, मनगढन्त, तथ्यहीन, भ्रामक, झूट एवं आपत्तिजनक हैं, जिससे श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति की छवि धूमिल हुई है।
मैं, कुलपति श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल इस खण्डन के माध्यम से पोर्टल स्वामी को सूचित करता हूं कि पोर्टल द्वारा श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय एवं इसके कुलपति की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से छापी गयी खबरों का तत्काल खण्डन करना सुनिश्चित करें। यदि पोर्टल स्वामी द्वारा ऐसा नहीं किया जायेगा तो पोर्टल स्वामी के विरूद्ध कठोर वैधानिक कार्यवाही अमल में लाने एवं सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने हेतु श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल को बाध्य होना पडेगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी न्यूज पोर्टल के स्वामी की होगी।