नवीन चौहान
उत्तराखंड की मित्र पुलिस की छवि को सुधारने की कवायद में जुटे पुलिस अफसरों की मंशा पर पानी फिरता दिखाई पड़ रहा है। खाकी के जवानों की महत्वकांक्षा लगातार वर्दी पर दाग छोड़ रही है। लेकिन पुलिसकर्मियों के आचरण में लगातार आ रही गिरावट खाकी की छवि को धूमिल कर रही है। देहरादून में प्रापर्टी डीलर से लूटकांड के बाद एक बार उत्तराखंड की मित्र पुलिस की कार्यशैली संदेह के घेरे में आ गई है। एसटीएफ ने एक दारोगा, दो कांस्टेबल और एक कांग्रेसी नेता को गिरफ्तार कर लिया है।
चार अप्रैल को राजपुर रोड पर पुलिस महानिरीक्षक की गाड़ी में सवार पुलिसकर्मियों ने लोकसभा चुनाव में चेकिंग के नाम पर प्रापर्टी डीलर को डराकर नोटों से भरा बैंग लूट लिया था। लूटी गई रकम लेकर पुलिसकर्मी मामले को दबाकर बैठ गए। लेकिन जब पीडि़त ने अपनी रकम के संबंध में जानकारी जुटाई तो प्रकरण उजागर हुआ। इस चेकिंग के नाम पर लूटकांड को अंजाम देने वाले पुलिसकर्मियों ने पुलिस महानिरीक्षक के वाहन का प्रयोग किया तो उत्तराखंड के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। हाईप्रोफाइल मामला होने के चलते पूरी गंभीरता और निष्पक्षता से मामले की जांच की गई। वीडियो रिकार्डिंग को खंगाला गया तो घटना की पुष्टि हो गई। आखिरकार अपर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार, सीओ कैलाश पंवार की अगुवाई में तीन इंस्पेक्टर आरोपियों से पूछताछ कर सच उगलवाने और लूटी गई रकम के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास करते रहे। आरोपी दरोगा दिनेश नेगी, कांस्टेबल हिमांशु उपाध्याय, मनोज अधिकारी और मुकदमे में आरोपी कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा की गिरफ्तारी की गई। हालांकि एसटीएफ के जांच अधिकारियों की पूछताछ में सभी आरोपी तमाम आरोपों को सिरे से नकारते रहे लेकिन पुख्ता सबूत जुटा चुकी एसटीएफ इस केस में पूरी सख्त और निष्पक्ष दिखाई दी।
डीआईजी रिधिम अग्रवाल के लिए चुनौती
डीआईजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल एक ईमानदार पुलिस अफसर है। उनके निर्देशन में चल रही जांच में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। लेकिन इस लूटकांड में अपने ही महकमे के तीन लोगों के साथ एक अन्य कांग्रेसी नेता अनुपम शर्मा से सच उगलवाना भी एक मुश्किल भरा कार्य है। लेकिन खाकी के जवानों को सबक सिखाने के लिए डीआईजी रिधिम अग्रवाल को इस केस में तमाम उन बिंदुओं की जानकारी भी जुटानी होगी जो अभी तक इस पिक्चर से गायब है।
लूटकांड के आरोपियों ने की रैकी
सीसीटीवी फुटेज में आरोपियों की तस्वीर सब सच उगल रही है। आरोपियों की काल डिटेल में षडयंत रचने की पुष्टि हो रही है। रैकी करना फिर डीआईजी के वाहन का प्रयोग करना। अनुरोध के वाहन को रोकना। डब्लूआईसी से निकलते ही पीछा करना। थोड़ी दूर पीछा करने के बाद अनुरोध का वाहन रोककर गाड़ी से बैंग लूट लेना। फिर अनुरोध को अपनी गाड़ी में बैठाया। सब कडि़यों का मिलाने के बाद ही इस पूरे लूटकांड को अंजाम दिया गया।
मास्टर माइंड अनुपम ने बनाया प्लान
डीआईजी के वाहन में बैठकर लूटकांड को अंजाम देने का मास्टर माइंड प्रथमदृष्टया अनुपम ही प्रतीत हो रहा है। अनुपम शर्मा ने अनुरोध से लैंड डील की थी। अनुपम को ये रकम अनुरोध को लैंड की बाबत दी जानी थी। जो करीब एक करोड़ रही होगी। अनुपम के मन में लालच आ गया। अनुपम ने सोचा कि इसको बैंग देकर पैंसा दे देता हूं लेकिन रास्ते में वो रकम पुलिस की मदद से लूट लिया जायेगा। चेकिंग के नाम पर डरा धमकाकर अनुरोध से पैंसा वापिस आ जायेगा। जिससे जमीन भी मिल जायेगी और पैंसा भी वापिस आ जायेगा। चुनाव में नकदी के संबंध में ज्यादा पूछताछ नही होगी। लेकिन पुलिस ने पूरे मामले से पर्दाफाश हो गया।
पैंसे बरामद करना एसटीएफ की चुनौती
शिकायतकर्ता अपने पैंसे की पूरी जानकारी पुलिस को नही दे पा रहा है। शिकायतकर्ता की बातों से पुलिस भी उलझन में है। वही आरोपी भी विवेचको को सही बताने को तैयार नही है। लेकिन एसटीएफ की टीम को एक करोड़ की रकम बरामद करना अपने आप में एक चुनौती है। वही एसटीएफ को इस केस में आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए मजबूत चार्जशीट तैयार करनी होगी।
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