भाजपा को जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा पड़ेगी भारी




नवीन चौहान
लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक बार फिर जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करना भारी पड़ सकता हैं। जिसके चलते भाजपा को कुछ सीटों पर मुंह की खानी पड़ सकती हैं। हालांकि हरिद्वार में निकाय चुनाव में भाजपा को सबक मिल चुका है। लेकिन इसके बावजूद सत्ता के नशे में चूर जन प्रतिनिधियों ने कोई सबक नहीं लिया और ना ही कार्यकर्ताओं की सुध ली। इसी के चलते कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी हैं।
विधानसभा चुनाव 2017 में उत्तराखंड में भाजपा प्रचंड बहुमत से विजयी हुई। भाजपा की सरकार बनी तो भाजपाई नेताओं का दिमाग सातवे आसमान पर पहुंच गया। प्रदेश में विकास कार्यो की रफ्तार बहुत धीमी रही। वही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीरो टालरेंस की मुहिम को लेकर प्रदेश में नया शिफूगा छोड़ दिया। भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन का दावा किया गया। लेकिन प्रदेश में पूर्व में हुए भ्रष्टाचार पर सरकार की चुप्पी ने जीरो टालरेंस की भी पोल खोल दी। रही सही कसर सरकारी अधिकारियों और कार्यालयों के बाबूओं ने पूरी कर दी। सरकारी व्यवस्थाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ। हरिद्वार जनपद की बात करें तो यहां जीरो टालरेंस सतह पर उतरता हुआ दिखाई नहीं दिया। तहसील के कार्यो में जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा। वही बिजली विभाग, जल संस्थान समेत तमाम विभागों में जनता को समस्या हुई। हरिद्वार की जनता ने यहीं शिकायत भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं से की। भाजपा कार्यकर्ताओं को सरकारी विभाग में भष्टाचार की बात और पैंसों के लेनदेन की बात जन प्रतिनिधियों को बताई। लेकिन जन प्रतिनिधियों ने भाजपा के कार्यकर्ताओं की बात को सुनकर अनसुना कर दिया। भाजपा कार्यकर्ताओं को अपना अपमान नजर आया। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की निष्ठा जन प्रतिनिधियों के प्रति खत्म हो गई। यही कारण रहा कि निकाय चुनाव में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के लिए काम किया और वोट देने की अपील तक की। इन कार्यकर्ताओं ने पार्टी भी नहीं छोड़ी और खुलकर मुखालफत भी नहीं की। लेकिन जन प्रनिनिधियों का सबक जरूर सिखाया। हालांकि निकाय चुनाव हारने के बाद भी कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक अपने कार्यकर्ताओं की मनोभावना को समझने में नाकाम रहे। यही टीस कार्यकर्ताओं के मन में है। एक भाजपा कार्यकर्ता ने बताया कि मदन और निशंक चंद नेताओं के इशारे पर कार्य करते है। जबकि प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज तो खुद को नेता कम महाराज भी समझते है। इन तीनों जन प्रतिनिधियों को कार्यकर्ताओं के सम्मान से कोई सरोकार नहीं हैं। जबकि जनता की पीड़ा का सामना एक सामान्य कार्यकर्ताओं को करना पड़ता हैं। जनता अधिकारियों से पूरी तरह से त्रस्त हैं। टूटी सड़कों को लेकर जनता से गालियां तक पड़ती है। ऐसे में पीडि़त जनता से किस आधार पर भाजपा को वोट देने की अपील की जा सकती है।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *