आखिरी वक्त में अपनो का कंधा भी नहीं हुआ नसीब




संजीव शर्मा
मेरठ। कोरोना से वृद्ध की मौत के बाद उसे अंतिम समय में अपनों का कंधा भी नसीब नहीं हुआ। परिवार के लोग अंतिम समय में साथ नहीं थे, शव दफनाने के दौरान भी केवल दो रिश्तेदारों को मौजूद रहने की अनुमति मिली। कड़ी सुरक्षा और गाइड लाइन के अनुसार शव को दफनाया गया।
मेरठ में कोरोना पॉजिटिव 72 वर्षीय वृद्ध की बुधवार को मेडिकल अस्पताल में मौत हुई थी। वृद्ध को कोरोना पॉजिटिव उसके दामाद से हुआ था जो महाराष्ट्र से यहां अपनी ससुराल आया था। वह कोरोना पॉजिटिव था। उसके संपर्क में आने पर परिवार के अन्य सदस्यों समेत 16 अन्य को कोरोना पॉजिटिव हो गया। बुधवार को वृद्ध की इलाज के दौरान मेरठ में मौत हो गई। मेरठ में कोरोना पॉजिटिव की यह पहली मौत है। वृद्ध की मौत के बाद उसके शव को कड़ी सुरक्षा के साथ ​कब्रिस्तान ला कर दफनाया गया। यहां केवल स्वास्थ्य विभाग के दो कर्मचारी और उसके दो रिश्तेदारों के अलावा तीन युवक कब्र खोदने वाले ही मौजूद रहे। वृद्ध के चार बेटे, बहु और पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव है, जिनका मेडिकल अस्पताल में ही इलाज चल रहा है। वृद्ध के शव को मेडिकल अस्पताल से पूरी तरह सील कर बाहर निकला गया। उसके शव को खास तरह के पॉलीथिन बैग में रखा गया था ताकि उसके शरीर का न तो कोई हिस्सा दिखायी दिये और न ही उसके शरीर से कोई तरल पदार्थ निकलकर बाहर आए। यदि बॉडी किसी से छू गई या उसके शरीर का कोई तरल पदार्थ या दवाई बाहर किसी अन्य के संपर्क में आ गई तो उससे संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाएगा। शव एम्बुलेंस के जरिए सीधे कब्रिस्तान ले जाया गया। जिस कब्र में उसे दफनाया गया वह सामान्य कब्र से अधिक गहरी खोदी गई। उसका शव कब्र में उतारने के बाद पूरी कब्र को पहले सैनेटाइज किया किया गया।



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