एएसपी परीक्षित कुमार पर मंडरा रहे संकट के बादल




नवीन चौहान
यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसे एएसपी परीक्षित कुमार की फौरी तौर पर तो मुसीबत खत्म हो गई है। लेकिन संकट के बादल उनके ऊपर मंडरा रहे है। यौन उत्पीड़न निवारण समिति की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय देहरादून पहुंच गई है। जिसके बाद एएसपी परीक्षित कुमार को विभागीय जांच का सामना करना पड़ेगा। ये रिपोर्ट पूरी तरह निष्पक्ष और गोपनीय हैं। जिसके बाद एएसपी को विभागीय कार्रवाई की जांच से गुजरना होगा।
उत्तराखंड पुलिस महकमे के लिए सबसे शर्मनाक प्रकरण इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। गत दिनों हरिद्वार सीओ सिटी के पद पर तैनात रहे परीक्षित कुमार पर एक महिला कांस्टेबल ने गंभीर आरोप लगाए थे। इस प्रकरण की शिकायत पीडि़ता ने तत्कालीन एसएसपी रिधिम अग्रवाल से की थी। लेकिन ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ एसएसपी रिधिम अग्रवाल ने इस प्रकरण को पूरी गंभीरता से लिया और पीडि़ता की शिकायत को दर्ज कराया। एसएसपी रिधिम अग्रवाल ने चार सदस्यीय यौन उत्पीड़न निवारण समिति को इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए। इसके अलावा इस प्रकरण को लिखित और मौखिक तौर पर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया। एसएसपी रिधिम अग्रवाल ने इस प्रकरण में पीडि़ता की शिकायत पर पूरी तरह से कानून का अनुपालन किया। वही दूसरी ओर यौन उत्पीड़न निवारण समिति पीडि़ता के प्रकरण की निष्पक्ष जांच करती रही। करीब एक सप्ताह में समिति ने अपनी जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट वर्तमान एसएसपी जन्मेजय प्रभाकर खंडूरी को सुपुर्द कर दी। हालांकि इस रिपोर्ट के पहुंचने से चंद घंटे पहले ही पीडि़ता बैकफुट पर आ गई। एएसपी के गलती स्वीकार करने के बाद पीडि़ता ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करने के इरादे जाहिर कर दिए। इसी प्रकरण में अब एएसपी पर समिति की रिपोर्ट एक बड़ा संकट पैदा करने वाली हैं। लेकिन पीडि़ता के बैकफुट पर आने को लेकर कई सवाल उठने लगे। कानून की रक्षक पुलिस महकमे में एक पीडि़ता की आवाज को दबाया गया है। हालांकि इस प्रकरण में पीडि़ता के साहस की प्रशंसा करनी चाहिए जो खुद शिकायत लेकर एसएसपी तो पहुंची। लेकिन दबाव में आकर चुप्पी साध बैठी। ऐसे में एक सवाल ये भी खड़ा हो गया कि पीडि़ता पर किस प्रकार का दबाव बनाया गया। वही तत्कालीन एसएसपी रिधिम अग्रवाल के निर्णय की भी प्रशंसा करनी चाहिए। जिन्होंने पीडि़ता की मनोदशा को समझा और उसकी शिकायत पर अपने ही विभाग के अधिकारी के खिलाफ जांच बैठाई। अब इस प्रकरण में यौन उत्पीड़न निवारण समिति की रिपोर्ट पर पीडि़ता को मिलने वाले न्याय का इंतजार है।



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