पतंजलि योगपीठ में धूमधाम के साथ मनाया गया देश का 71वाँ गणतंत्र दिवस




नवीन चौहान
हरिद्वार, भारत के 71वें गणतंत्र दिवस पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने ध्वजारोहण कर देश के नागरिकों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ परिवार परम पूज्य स्वामी जी महाराज के नेतृत्व में, उनके तप और पुरुषार्थ से राष्ट्रवाद की मूल अवधारणा को साकार करते हुए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि अतीत की ओर जाते हैं तो देखेंगे कि पतंजलि की नींव राष्ट्रवाद ही है। दिव्य योग मंदिर, कनखल का परिसर जहाँ आज से 26 वर्ष पूर्व स्वामी जी के नेतृत्व में राष्ट्रवाद के कार्यों के लिए एक वाटिका का प्रारंभ हुआ था, वह भी वीर-शहीदों व क्रांतिकारियों की भूमि रही है।

महान् क्रान्तिकारी रासबिहारी बोस ने 3 दिन गुप्त रूप से वहाँ शरण ली थी। अंग्रेजों ने उनपर लाखों रुपए का नाम घोषित किया था और उस समय उनके विश्वसनीय कोई व्यक्ति थे, तो वह हम सबके दादा गुरु स्वामी कृपालु देव जी महाराज थे। क्रांतिकारियों की इस पावन तपस्थली में बड़ी-बड़ी योजनाएं बनती थी, बड़ी-बड़ी बैठकें होती थी। देश को आजाद कराने में स्वामी कृपालु देव जी महाराज ने कांग्रेस के साथ जुड़कर बहुत सारी गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज के साथ मिलकर ऋषि दयानंद की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गुरुकुलीय परंपरा का पुनर्जागरण व पुनरुद्धार तथा राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने का काम किया।


स्वतंत्रता के आंदोलन में लाखों-लाखों वीर शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस राष्ट्र को स्वतंत्र कराया और इस गणतंत्र के पावन स्वरूप पर ढाला तो आज हमारा दायित्व है कि हम सब राष्ट्र के उत्थान के लिए काम करें। आचार्य जी ने कहा कि आज अपने तप व पुरुषार्थ से शहीदों के सपनों को साकार करने का दायित्व हम सबका है। उनका स्वप्न मात्र इतना ही था कि देश की आजादी तथा इसके संविधान के निर्माण के बाद यह देश विश्वगुरु बने। अब हम सबका दायित्व है उनके सपनों को अपने हृदय में धारण कर उन्हें साकार करने के लिए अपने जीवन को लगा दें।
आचार्य जी ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के विविध सेवा प्रकल्प के माध्यम से हम राष्ट्रवाद की अवधारणा को स्थापित करने का, सुदृढ़ करने का, उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। यहाँ हमारे जितने भी सहयोगी हैं- चाहे वे विद्यार्थी हैं, कर्मयोगी भाई-बहन हैं या आजीवन सेवाव्रती हैं, उन सबको मैं कहना चाहता हूँ कि हो सकता है कि आप कहीं और सेवा कर रहे हों परंतु पतंजलि योगपीठ, पतंजलि विश्वविद्यालय, आयुर्वेद महाविद्यालय, वैदिक गुरुकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम् आदि इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहाँ जो भी सेवा कार्य हो रहा है, वह किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, किसी कॉरपोरेट के लिए नहीं अपितु विशुद्ध रूप से राष्ट्रवाद और आध्यात्मवाद के लिए किया जा रहा है।


राष्ट्रवाद हमारे मूल में है। आप यदि आध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहते हैं तो पतंजलि एक ऐसा दिव्य व भव्य संस्थान है जहाँ आप अपनी ऊर्जा को, अपने संकल्प को व अपनी शक्ति को नए पंख लगा सकते हैं। पूज्य स्वामी जी को आपसे केवल इतना ही चाहिए कि आप केवल देश के लिए सोचें, यह भी उनके स्वयं के लिए नहीं अपितु राष्ट्र के लिए है।
आज देश विविध चुनौतियों से जूझ रहा है। हालांकि हमने इन 71 वर्षों में बहुत से मुकाम हासिल किए हैं, बहुत सारे लक्ष्य को पाया है, परंतु बहुत सारी चुनौतियाँ आज भी हमारे सम्मुख खड़ी हैं। राष्ट्रवाद की मूल अवधारणा को चंद लोग खंडित करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी परंपरा कहती है कि किसी भी संस्कृति, राष्ट्र, अध्यात्म या संस्थान की हानि वहाँ के राष्ट्र विरोधी तत्वों से नहीं होती अपितु शेष लोगों की उदासीनता के कारण होती है। इसलिए हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना है, उनके प्रति उदासीनता नहीं रखनी है। तो आइए, हम सब अपने-अपने कार्यों से, अपने दायित्वों से राष्ट्र को आगे ले जाने का कार्य करें।


उन्होंने कहा कि हमारे लिए गर्व और गौरव की बात है जिस स्वदेशी की अलख को जगाने के लिए महात्मा गांधी, माननीय विनोबा भावे, लाला लाजपत राय से लेकर हमारे आदर्श अध्यात्म महापुरुष स्वामी दयानंद जी तथा अनेक वीर-शहीदों ने प्रयास किया, उस परम्परा को पतंजलि ने आगे बढ़ाया है। आज पतंजलि परिवार स्वदेशी के रूप में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। स्वदेशी शब्द का उच्चारण करते ही पतंजलि का नाम स्वतः ही जुड़ जाता है। यह वर्ष इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जहाँ पतंजलि के 25 वर्ष पूरे हुए हैं वहीं रुचि सोया के माध्यम से स्वदेशी के सबसे बड़े संस्थान के रूप में पतंजलि को जोड़ दिया है। एक तरह से आप सभी स्वदेशी के महानायक हैं, इसीलिए आपका दायित्व और बढ़ जाता है।
पतंजलि योगपीठ के साथ-साथ पतंजलि के विविध सेवा प्रकल्पों यथा- दिव्य योग मंदिर, कनखल, दिव्य फार्मेसी, पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क-पदार्था आदि में भी श्रद्धेय आचार्य जी ने ध्वजारोहण किया।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *