मोदी सरकार कामयाब, इस्लामाबाद में होने वाला सार्क सम्मेलन स्थगित




नई दिल्ली. उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की पाॅलिसी कामयाब होती दिख रही है। इस्लामाबाद में 9 और 10 नवंबर में होने वाली 19th सार्क समिट टल गई है। मोदी समिट में नहीं जाएंगे, इस एलान के बाद इस रीजन में आतंकवाद बढ़ने की बात कर भूटान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश ने भी नहीं जाने का फैसला लिया। 31 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक साथ चार देशों ने आतंक के मुद्दे पर बायकॉट किया है।

 उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खि‍लाफ भारत की मुहिम को बड़ी कामयाबी मिली है। इस्लामाबाद में होने वाला 19वां सार्क सम्मेलन स्थगित कर दिया गया है। ये खबर एक नेपाली मीडिया ने दी है। ‘काठमांडू पोस्ट’ ने खबर दी है कि सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने से भारत के इंकार के बाद मौजूदा परिस्थ‍ितियों के मद्देनजर सार्क सम्मेलन स्थगित कर दिया गया है।

गौरतलब है कि भारत के साथ ही पड़ोसी बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने इस सम्मेलन के बहिष्कार फैसला किया है। आतंकवाद के मसले पर सदस्य देशों के विरोध के बाद सार्क का मौजूदा अध्यक्ष नेपाल संगठन को बचाने की कोशि‍श में जुटा है। नेपाल नवंबर में होने वाले इस सम्मेलन के लिए‍ आयोजन स्थल को इस्लामाबाद से बदलकर दूसरी जगह करने पर विचार कर रहा है।

नियमों के मुताबिक सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है। अगर एक भी सदस्य सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेता है तो इसे स्थगित करना पड़ता है या रद्द करना पड़ता है। साल 1985 में बने इस गुट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल हैं।

इसके बाद समिट की अगुआई कर रहे नेपाल की मीडिया की रिपोर्ट है कि समिट टल गई है। पर पाक ने बोला है- भले कोई न आए, हम करेंगे समिट करेंगे। इधर, कम से कम पांच तरीकों से मोदी सरकार ने पड़ोसी देश को घेर लिया है। सार्क में 8 देश हैं। जीडीपी के लिहाज से सार्क देशों की अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी है। कुल आबादी 162 करोड़ है। भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान के विरोध का मतलब है 86% आबादी का नेतृत्व पाक के खिलाफ है। हालांकि, श्रीलंका, मालदीव और नेपाल ने खुलकर अपना रुख साफ नहीं किया है।


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