नवीन चौहान.
वीर माधोसिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान योग शिक्षक के निर्देशन में योग किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन हम भारतवासियों के लिए बेहद की गर्व का दिन है। क्योंकि हमारे देश की योग विद्या 5 हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में पूरा विश्व मना रहा है।
उन्होंने कहा कि शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने के लिए हमें अपनी दिनचर्या में योग को सम्मलित कर योगाभ्यास करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय आध्यात्म एवं दर्शन में योग के प्रथम गुरू भगवान शिव को माना गया है और प्रथम योग गुरू शिव की योग विद्या का सप्तऋषियों ने योगिक तरीके से दीर्घ जीवन जीने की इस संस्कृति व परम्परा से जनमानस को जागरूक किया। प्राचीन भारतीय योग विद्या से पूरी दुनिया जो जागृत कराने में कई महान हस्तियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
इस अवसर पर डॉ ध्यानी ने बताया कि महर्षि पंतजलि ने योगाभ्यास की प्रक्रिया प्री वैदिक पीरियड में शुरू करवाई थी। स्वामी विवेकानन्द ने वर्ष 1803 में पश्चिमी देशों में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर भारतीय पुरातन योग विद्या की अलख जगायी थी। योग गुरू बाबा रामदेव ने वर्ष 2003 में योग कार्यक्रम को चैनलों के माध्यम से शुरू किया था जिसके बाद दुनिया भर में उनके समर्थक उनसे जुड़े और बाबा रामदेव योग प्रचार प्रसार में विश्व योग गुरू के रूप में प्रसिद्ध हुए। हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय प्राचीन योग विद्या को वैश्विक मान्यता दिलाने में महती भूमिका निभायी है।
डॉ ध्यानी ने कहा कि वर्तमान में योग की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालयों के पाठयक्रमों में सम्मिलित करते हुए अलग से योग विभाग खोले जाने चाहिए जिससे रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं बढ़ेंगी। जनमानस अपने स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन यापन करने हेतु योग अभ्यास को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करें।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव ई. आरपी गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी को स्वस्थ जीवन जीते हेतु अपनी दिनचर्या में योग को अपनाना चाहिए और जनमानस को भी योगाभ्यास किये जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
योग कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के एम फार्मा विभाग की शिक्षिका अनुजा पांडे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में परीक्षा नियंत्रक डॉ पीके अरोडा, डॉ विशाल रमोला, डॉ डीएस गंगवार, परीक्षा समन्वयक सुनील कुमार के अलावा विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारी और शिक्षक उपस्थित रहे।