महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों के मामलों की जांच करने वाली महिला पुलिस अधिकारियों को डीजीपी ने दी ये जानकारी




नवीन चौहान.
अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड द्वारा महिलाओं के विरूद्ध होने वाले बलात्कार, छेड़खानी एवं पोक्सो एक्ट के मामलों की जांच करने वाली महिला अधिकारियों (उपनिरीक्षक से पुलिस उपाधीक्षक) हेतु पुलिस लाइन देहरादून में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। कार्यशाला में प्रदेश के समस्त जनपदों से कुल 125 महिला अधिकारियों (उपनिरीक्षक- 116, निरीक्षक- 02 से पुलिस उपाधीक्षक- 07) द्वारा प्रतिभाग किया गया।

कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि महिला सुरक्षा के प्रति उत्तराखण्ड पुलिस संवेदनशील है। निर्भया केस के बाद महिला सुरक्षा सम्बन्धी कानूनों में काफी परिवर्तन हुए हैं साथ ही कई नए कानून बने हैं। आईपीसी, सीआरपीसी एवं साक्ष्य अधिनियम सभी में काफी परिवर्तन आये हैं। इन सभी का विवेचकों को पूरा ज्ञान हो इसके लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है, जिससे उन्हें इन कानूनों की सही जानकारी हो। महिलाओं के विरूद्ध होने वाले बलात्कार, छेड़खानी एवं पोक्सो एक्ट के मामलों की जांच/विवेचना महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा ही की जाती है, इसलिए हमारे पुलिस अधिकारी एवं विवेचक पीडित के प्रति संवेदनशील हो।

BPR&D (Bureau of Police Research and Development) द्वारा इन कानूनों एवं महिला अपराधों की विवेचना के सम्बन्ध में पूर्व में एवं नवीनतम जारी एसओपी की जानकारी हर विवेचक तक पहुंचे और उसका वह अनुपालन करे।पुलिस का कार्य पीडित मदद करना, उसे न्याय दिलाना और कानून के अनुसार कार्य करना है।

कार्यशाला के दौरान राज्य परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तराखण्ड सुश्री विमला मखलोगा द्वारा लैंगिक संवेदीकरण एवं पीड़िता का पुनर्वास, अपर निदेशक विधि, उत्तराखण्ड हरि विनोद जोशी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रतिवेदन एवं आईपीसी, सीआरपीसी व साक्ष्य अधिनियम में नवीनतम संशोधन, संयुक्त निदेशक विधि, देहरादून जीसी पंचोली द्वारा विचारण के दौरान विवेचक एवं थाना प्रभारी के कर्तव्य व गवाह संरक्षण, पुलिस अधीक्षक क्षेत्रीय, देहरादून ममता बोहरा द्वारा यौन उत्पीड़न के अभियोगों की विवेचना में साक्ष्य संकलन, प्रभारी राज्य महिला सुरक्षा हेल्पलाइन, पुलिस मुख्यालय, उत्तराखण्ड ज्योति चौहान द्वारा यौन उत्पीड़न के अभियोगों की विवेचना में पीड़िताओं एवं मीडिया के प्रति पुलिस का व्यवहार व कर्तव्य आदि विषयों पर व्याख्यान दिया गया।

कार्यशाला में पीड़िताओं के साथ संवेदनशील व्यवहार करने, बलात्कार एवं पोस्को के मामलों में पीड़िता हेतु किसी भी राज्य एवं जनपद में एफआईआर कराने की सुविधा, पीड़िता को थाने न बुलाकर पीड़िता के पास जाकर बायन दर्ज करने, मेडिकल परीक्षण 24 घंटे के भीतर कराने आदि विषयों पर जोर दिया गया।

इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था वी मुरूगेशन, पुलिस उप महानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र करन सिंह नगन्याल, पुलिस उप महानिरीक्षक, पी/एम सेंथिल अबुदेई कृष्ण राज एस, पुलिस उप महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था- कु. पी. रेणुका, पुलिस उप महानिरीक्षक, प्रशिक्षण बरिन्दरजीत सिंह सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।



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