मौसम की दगाबाजी में उलझे बादल, उमड़े तो पर बरसने को तरसे




नवीन चौहान.
मौसम इस बार दगाबाजी कर रहा है। जिन इलाकों में बारिश कम होती थी इस बार उन इलाकों में बारिश कहर बरपा रही है। जबकि जहां बारिश सामान्य से अधिक होती थी वहां इस बार लोग बारिश को तरस रहे हैं। यह स्थिति खासतौर पर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में देखी जा रही है।

उत्तराखंड के मैदानी इलाकों का भी यही हाल है। यहां भी इस बार सामान्य से कम बारिश हो रही है। जुलाई माह की बात करे तो केवल अंतिम दिनों में बारिश देखने को मिली। इससे पहले बादल तो खूब उमड़े लेकिन बारिश नहीं हुई। अभी तक झमाझम बारिश भी मैदानी इलाकों में देखने को नहीं मिली है। लगातार होने वाली बारिश भी इस बार मानसूनी सीजन में अभी तक देखने को नहीं मिली है।

मौसम विशेषज्ञ भी इस बदलाव से हैरान दिख रहे हैं। मौसम विभाग ने भी इस बार जब जब अलर्ट जारी किया तब बारिश नहीं हुई। ऐसा पहली बार ही देखने को मिल रहा है। इससे पहले के कुछ सालों की बात करें तो मौसम विभाग की सभी जानकारी सटीक निकली थी। लेकिन इस बार मौसम विभाग की भविष्यवाणी भी खरी नहीं उतर रही है। मौसम की जानकारी देने वाले जो एप है वह भी इस बार सटीक जानकारी देने में फेल साबित हो रहे हैं।

मौसम विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि मानसूनी बादल पूरी तरह से छाए हुए है। बंगाल की खाड़ी में भी मानूसन की हलचल चल रही है। इसका असर देश के सभी हिस्सों में देखने को मिल रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में बारिश कम हो रही है। इस समय भी उमस भरी गरमी के मारे लोगों का बुरा हाल है। सावन का महीना भी समाप्ति की ओर है, ऐसे में सावन के भी सूखा रहने के आसार दिख रहे हैं।

हालांकि मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई के अंतिम दौर में जो बारिश हुई उससे काफी राहत मिली है। कुछ स्थानों पर बारिश ने सामान्य से अधिक का आंकड़ा छुआ है लेकिन बारिश एक साथ सभी इलाकों में न होने की वजह से गरमी से राहत नहीं मिल रही है।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *