शांतिकुज और देसंविवि में सादगी से मनायी गई विश्वकर्मा जयंती




नवीन चौहान.
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में विश्वकर्मा जयंती उत्साह के साथ सादगीपूर्ण मनाई गयी। इस अवसर पर शांतिकुंज के स्वावलंबन कार्यशाला तथा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में निर्माण विभाग में सामूहिक रूप से विश्वकर्मा जयंती का आयोजन हुआ।

इस दौरान रचनात्मकता व उद्यमशीलता के इस देवता की अभ्यर्थना के साथ उनके प्रतीक के रूप में पुस्तक, पैमाना, जलपात्र आदि सृजन के इन अनिवार्य माध्यमों की विशेष पूजा अर्चना की गई। वहीं संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने शांतिकुंज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के नवनिर्मित क्रोमा स्टूडियो का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का एक मात्र माध्यम से सोशल मीडिया है। परम पूज्य गुरुदेव के नवनिर्माण के विचार युवाओं, जन-जन तक पहुंचाये। इस अवसर पर शैलदीदी ने भगवान विश्वकर्मा के अद्भूत प्रतिभा को याद करते हुए श्रम शक्ति की उपासना करने के लिए प्रेरित किया। अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने शिल्पशास्त्र का कर्ता विश्वकर्मा की रचनात्मकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान भाषा के अनुसार उन्हें श्रेष्ठ इंजीनियर कह सकते हैं। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि हिन्दू मान्यता के अनुसार देवताओं के शिल्प के रूप में विश्वकर्मा जी विख्यात थे।

शांतिकुंज व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा ने कहा कि सृष्टि के निर्माण में शिल्पकलाधिपति भगवान विश्वकर्मा ने दुनिया को बनाने में विशेष तकनीकियों का प्रयोग किया है। श्री शर्मा ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर विश्वकर्मा जी के रचनात्मक विचार को अपनाने के लिए प्रेरित किया। देसंविवि में हुए यज्ञ में विद्यार्थियों व आचार्यों ने तथा शांतिकुंज में हुए हवन में वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भागीदारी कर सृजन की देवता से सम्पूर्ण समाज के नवनिर्माण की प्रार्थना की। इस अवसर पर देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, शैफाली पण्ड्या, मोहनलाल विश्वकर्मा, सुधीर सोनी सहित निर्माण, स्वावलंबन, विद्युत आदि विभागों के प्रतिभागी उपस्थित रहे।



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