कुलपति नरेंद्र सिंह भंडारी ने आजादी के नायक नेताजी के संघर्ष के अविस्मरीण क्षणों को बताकर किया युवाओं को प्रेरित




नवीन चौहान
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस जी राष्ट्र के युवाओं के प्रेरणास्रोत माने जाते हैं। आजादी से पूर्व के कालखंड में निराशा का भाव रहा था, लेकिन सुभाष चन्द्र बोस जैसे स्वतंत्रता संग्रामियों ने वैचारिक क्रांति के सहारे देश को एकजुट किया। वो प्रारंभिक जीवन में एकांत में रहे, उससे उनको एक दिशा मिली। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को पढ़ा और उनसे उन्होंने प्रेरणा ली। यहीं से उनमें परिवर्तन हुए। वह एक महान राष्ट्रवादी नेता रहे, जो ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत में, आजादी के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लड़े। भारत माता को ब्रिटिश शासकों से मुक्त कराने के लिए उनके कार्य उत्कृष्ट रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघर्ष में ही मुझे मनुष्यता मिली है। ऐसे महान व्यक्ति ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। ऐसे व्यक्ति को स्मरण किया जाना आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़कर विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से बोस जी की जयंती भव्य तरीके से मनाई जाएगी।
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी, विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव डॉ बिपिन चंद्र जोशी, कार्यक्रम के अध्यक्ष रूप में परिसर के निदेशक प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट, कैलाश छिमवाल, चंदन सिंह मेर, गिरीश मल्होत्रा आदि ने सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण किया और इसके उपरांत गोष्ठी भी हुई।
गोष्ठी का संचालन करते हुए कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष कैलाश छिमवाल ने रूपरेखा रखते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती मनाते हैं और यह समिति कई वर्षों से कार्य कर रही है। उन्होंने समिति के कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी अतिथियों को दी। विशेष कार्याधिकारी डॉ डी एस बिष्ट ने कहा कि देश के स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों शहीदों को याद कर देश निर्माण के लिए कार्य करें। आज उनके विचारों की प्रासंगिकता बनी हुई है। उन्होंने बोस के जीवन से जुड़ी कई जानकारियां दी। डॉ नवीन भट्ट ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस के चरित्र में एक संघटनकर्ता, प्रशासक, राजनायिक हमें दिखता है। आजादी दिलाने के लिए उन्होंने हुंकार भरी थी। उन्होंने स्वतंत्रता दिलवाने के लिए भारतीय जनमानस को एकत्रित किया। प्रोफेसर वीडीएस नेगी ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्र सोच के व्यक्ति रहे, इसलिए गांधी जी से उनकी नहीं बनी। उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। महिलाओं को उन्होंने आगे किया,जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उत्कृष्ट कार्य है।आंदोलन में हजारों लोगों ने अपनी जान देकर आजादी के स्वप्न को साकार किया।
गिरीश मल्होत्रा ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे ज्यादा नाम सुभाष चंद्र बोस का ही आता है। उनको याद किया जाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कर्मचारी कल्याण समिति के इतिहास पर प्रकाश डाला। कर्मचारी संघटन के पूर्व अध्यक्ष डीएस धामी ने सुभाष जयंती अवसर पर स्मरण करते हुए कहा कि देश की सच्ची सेवा के लिए घर से शुरुआत की जानी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव डॉ बिपिन चंद्र जोशी ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस जी के संघर्ष से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। देश को आजादी दिलाने के लिए उनका प्रयास अहम है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय को शिखर तक पहुंचाने के लिए हमें एकमत होकर प्रयास करना होगा। सुभाष जैसी संघर्षशीलता होनी चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए परिसर के निदेशक प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि आजादी के संघर्ष में नरम दल और गरम दल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। बोस जी ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए आई.सी.एस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी वह छोड़ दी। वह समर्पण भाव से आजादी के संघर्ष में कूद गए। हमारा प्रयास भी होना चाहिए कि हम आजादी के संघर्ष से सीख लें। सुभाष जी ने भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए चेताया भी। इनको भारतीय इतिहास में सबसे बहादुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माना गया है। उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस जी को लेकर विश्वविद्यालय में इनके नाम पर एक पीठ की स्थापना करने के का प्रस्ताव कुलपति जी के समक्ष रखा। ताकि ऐसे महानायक से जुड़ी अध्ययन सामग्री और उनके विचारों से जनमानस को सीख मिलेगी। इस अवसर पर समिति के आधार स्तम्भ रहे गिरीश मल्होत्रा को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर सुशील कुमार जोशी, विशेष कार्याधिकारी डॉ. डी.एस. बिष्ट,प्रोफेसर वी डी. एस. नेगी, डॉ. नवीन भट्ट, डॉ. भुवन आर्या, डॉ देवेंद्र धामी,आनंद सिंह, प्रकाश भट्ट, डॉ. मनमोहन कनवाल, हरीश बिष्ट, त्रिलोक सिंह बिष्ट, डॉ. ललित जोशी, सागर रौतेला, देवेंद्र धामी, जयवीर सिंह नेगी, मनीष तिवारी, विनीत कांडपाल, प्रेम सिंह, पूरन सिंह, गणेश तिवारी, प्रकाश सती, बहादुर सिंह, राजेन्द्र सिंह बगडवाल, नंदन जड़ौत, विभाष मिश्रा, जगमोहन जोशी, हेमा अवस्थी, देबकी आदि शिक्षक एवं कर्मचारीगण मौजूद रहे।



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