उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने मौज उड़ाई और जिला प्रशासन ने संतों की गालियां खाई, पुलिस मूकदर्शक, देंखे वीडियो





नवीन चौहान
हरिद्वार जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए संतों के अवैध निर्माण को ध्वस्त कराने में काफी मशक्कत की। सिंचाई विभाग की भूमि पर बैरागी अखाड़े के संतों के अवैध निर्माण को एसडीएम गोपाल सिंह चौहान की मौजूदगी में जेसीबी की मदद से ध्वस्त किया गया। इस दौरान बैरागी संतों ने जिला प्रशासन की टीम को काफी खरी खोटी सुनाई। लेकिन एसडीएम ने संतों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए मौके से जेसीबी को हटाने से साफ इंकार कर दिया। इसी के साथ सिंचाई विभाग के निक्कमेपन की हकीकत भी उजागर हो गई। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अवैध निर्माण होने के दौरान अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। जबकि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान पुलिस के अधिका​री संतों की चरण वंदना करते नजर आए। लेकिन एसडीएम गोपाल ​चौहान ने कर्तव्यनिष्ठा के फर्ज से एक कदम नही डिगे। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को पूरा कराने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने में तहसीलदार आशीष घिल्डियाल की भूमिका भी सराहनीय रही।


बताते चले कि हरिद्वार कनखल स्थित बैरागी कैंप में सिंचाई विभाग की भूमि है। इस भूमि पर पंच निर्माही अखाड़ा के महंत राजेंद्र दास, पंच दिगंबर अणि अखाड़े के महंत कृष्णदा जी महाराज, श्री पंच निर्माणी अणि अखाड़े के महंत धर्मदास जी महाराज ने बिना प्रशासनिक अनुमति के अवैध रूप से पक्के निर्माण करने शुरू कर दिए। कुंभ मेले के लिए आवंटित की गई भूमि पर पक्का निर्माण होने की सूचना मिलते ही हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण ने नोटिस जारी जारी कर दिया। सिंचाई विभाग की नींद टूटी तो सहायक अभियंता चतुर्थ की ओर से तीनों अखाड़ों को नोटिस जारी किया गया। कुंभ पर्व 2021 शुरू होने के चलते मेला प्रशासन ने अवैध निर्माण के प्रकरण पर चुप्पी साध ली। जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कानों में रूई दबा ली। ​जनता की शिकायतों पर सिंचाई विभाग ने मौन धारण कर लिया। संतों ने राजनैतिक दखल दी तो प्रशासन कुंभ मेले तक बिलकुल शांत रहा। कुंभ मेला समाप्ति के बाद से ही जिला प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की चिंता सताने लगी। जिसके चलते अपर जिलाधिकारी प्रशासन बीके मिश्र ने बैरागी कैंप के अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने के लिए चार प्रशासनिक अधिकारियों की टीम गठित कर दी। आईएएस अंशुल सिंह, नगर मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, एसडीएम गोपाल सिंह चौहान और प्रशासिनक अधिकारी कलेक्ट्रेट संतोष कुमार पांडेय को पांच स्थायी प्रकृति की संरचना को ध्वस्तीकरण करने के लिए नामित किया गया। हालांकि इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में 31 मई 2021 को नियत है। प्रशास​न के इसी आदेश के क्रम में एसडीएम गोपाल सिंह चौहान, तहसीलदार आशीष घिल्डियाल, आईएएस अंशुल सिंह, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीके सिंह व तमाम पुलिस फोर्स अवैध निर्माण स्थल पर पहुंच गई। प्रशासन की ओर से जेसीबी की मदद से ध्वस्तीकरण करना शुरू किया तो संतों के विरोध के स्वर गुंजायमान हो उठे। संतों ने मौके पर ही एसडीएम गोपाल सिंह चौहान को अपने रसूक की धमक दिखाई। उनको चेतावनी दी। लेकिन एसडीएम गोपाल सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हलावा लिया और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को जारी रखा। अवैध निर्माण होने और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तक सिंचाई विभाग की भूमिका बेहद ही संदिग्ध दिखाई दी। सिंचाई विभाग के अधिकारी अपनी नाकामी पर चुप्पी साधे हुए थे। आखिरकार सिंचाई विभाग के अधिकारी किस बात को वेतन लेते है जो सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे होते है। विचारणीय है।



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