नवीन चौहान.
उत्तराखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरीश रावत की अचानक मुलाकात हुई. हंसी खुशी के वातावरण में दोनों के बीच निजी और राजनैतिक बातचीत भी हुई. लेकिन सबसे बड़ी बात दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों पर अपनी अपनी पार्टी को सत्ता दिलाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है.
हालांकि उत्तराखंड के ये दोनों नेता जमीन से जुड़े हैं. जमीनी स्तर पर सियासत करते हैं. हरीश रावत कांग्रेस के मजबूत स्तम्भ हैं. जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत संघ की पृष्ठभूमि की तपिश से निकलकर खरा सोना बने है. दोनों को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य मिला. दोनों ने अपने अपने स्तर पर उत्तराखंड के विकास की पटकथा को तैयार किया.
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने के दौरान दोनों को ही अपने विधायकों की नाराजगी,उपेक्षा और सियासत का शिकार होना पड़ा. त्रिवेंद्र सिंह रावत को जहां ईमानदारी,पारदर्शिता, सुचिता से सुशासन चलाने के चलते कुर्सी गंवानी पड़ी. वही हरीश रावत के साथ कई विवाद जोड़े गए.
हालांकि ये मुलाकात सियासी नहीं थी. ना ही कोई खिचड़ी पकी. दोनों नेताओं ने एक दूसरे के स्वास्थ्य का हाल जाना और आगे निकल गए. दोनों की मंजिल एक है और रास्ते जुदा-जुदा है.
5 से 7 मिनट की इस मुलाकात में दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने एक दूसरे के परिवार का हाल चाल भी जाना. वहीं हरीश रावत प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस से जुड़े होने के बावजूद त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल की प्रशंसा करते दिखाई दिए हैं.