वेबीनार में बताया कैसे कोरोना के डर और तनाव को योग के माध्यम से किया जाए कम




नवीन चौहान
योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर यौगिक सांइस) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार Role of Yoga in Holistic Health During Covid-19 world Pandemic का द्वितीय सत्र 12:00 से 3:00 बजे तक आयोजित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो0 मधुलता नयाल, विभागाध्यक्ष एवं संयोजिका, मनोविज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा ने की एवं इस सत्र के मुख्य वक्ता प्रो0 ईश्वर भारद्वाज, डीन एकेडमिक्स, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार रहे।
सत्र की प्रथम वक्त डॉ पद्मा, निदेशिका रंगिओरा योग, न्यूजीलैंड से थी इन्होंने बताया कि किस तरह हम योग द्वारा वर्तमान समय में कोविड-19 महामारी से फैले डर एवं तनाव को कम कर सकते हैं। तथा उन्होंने रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ ही योग को दैनिक जीवन में अपनाकर वर्तमान परिस्थितियों से बाहर निकल सकते हैं। कार्यक्रम के द्वितीय वक्ता डॉ रजनी नौटियाल, सहायक प्राध्यापिका, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विभाग, हेमवती नन्दन बहुगुणा, केंद्रीय विश्वविद्यालय, गढ़वाल, उत्तराखंड से थी उन्होंने बताया कि स्वर योग साधना द्वारा किस प्रकार समग्र स्वास्थ्य को प्राप्त किया जा सकता है उन्होंने स्वर साधना का आध्यात्मिक निरूपण करते हुए बताया कि मनुष्य प्रतिदिन अपनी सांसों के साथ एक जप करता रहता है जिसे हंस जप अथवा अजपा जप भी कहा जाता है यदि मानव समुदाय स्वास प्रश्वास की क्रिया में होने वाले हंस जप को जान ले तो वह इस भव सागर से पार पा सकता है तो कोविड जैसी महामारी की बात ही क्या है। इस सत्र के तृतीय वक्ता डॉ प्रद्युम्न सिंह शेखावत, हेड, डिपार्टमेंट ऑफ योग एंड साइंस ऑफ लिविंग, जैन विश्ववभारती इंस्टीट्यूट,लांडलु, राजस्थान से रहे। उन्होंने प्राणायाम एवं ध्यान के द्वारा वर्तमान कोविड 19 की परिस्थिति में मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन की जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान समय में हम जिस सामाजिक दूरी की बात करते हैं जो कि गलत है सामाजिक दूरी के स्थान पर शारीरिक दूरी होनी चाहिए। क्योंकि समाज से अलगाव की स्थिति मनुष्य के लिए भयावह होगी। इसलिए शारीरिक दूरी को अपनाकर चाहे वर्तमान तकनीकि ही क्यों न अपनायी जाए किंतु सामाजिक रूप से अपने मित्र, बधुओं रिश्तेदारों से जुड़े रहना चाहिये साथ ही उन्होंने प्राणायाम एवं ध्यान का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया। सत्र के चतुर्थ वक्ता डॉ विकास रावत, सह प्राध्यापक, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर, कर्नाटक से उपस्थित थे। उन्होंने वर्तमान कोविड समय में योग साधकों की समाज के प्रति समाज के प्रति जिम्मेदारी का वर्णन करते हुए कहा कि इस समय प्रत्येक योग साधक का कर्तव्य है कि उन्हें महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग को आत्मसात करने की आवश्यकता है तथा तप, स्वाध्याय एवं ईश्वरप्राणिधान के मार्ग को अपनाकर समाज सेवा हेतु समर्पण होना अनिवार्य है। क्योंकि योग की वह मार्ग है जिस पर चलकर मनुष्य इस भयावह परिस्थिति से बाहर आ सकता है। और इस हेतु योग साधक की इस समय जिम्मेदारी अहम हो जाती है। इस सत्र के अगले वक्ता डॉ रमेश कुमार, सहायक प्राध्यापक, योग विज्ञान विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से थे। उन्होंने कोरोना के बाद होने वाली समस्याओं के समाधान में योगाभ्यास की भूमिका पर प्रकाश डाला, उन्होंने बताया योग को पूर्ण विश्वास के साथ अपने जीवन में अपनाना चाहिए तभी सर्वतोभावेन हम इस परिस्थिति से स्वयं को स्वस्थ्य रख सकते हैं।
इसके पश्चात सत्र के मुख्य वक्ता प्रो0 ईश्वर भारद्वाज ने कोविड -19 के परिपेक्ष्य में योग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन विषय पर अपने विचार व्यक्त किये और वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक निरूपण के साथ उन्होंने मन को स्वस्थ्य रखने के तरीके बताए।
इसके पश्चात इस सत्र की अध्यक्ष प्रो0 मधुलता नयाल ने सभी वक्ताओं के सार रूप निष्कर्ष को बताते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि योग एवं वैदिक जीवन पद्धति को अपनाकर सकारात्मकता के साथ वर्तमान कोविड -19 महामारी से स्वयं को एवं समाज को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम निश्चित रूप से विश्ववविद्यालयी छात्रों के साथ साथ आमजनमानस के लिए भी उपयोगी एवं लाभदायक सिद्ध होगा। द्वितीय सत्र का संचालन रजनीश जोशी ने किया। अंत में योग विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के संयोजक डॉ नवीन भट्ट ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।यह कार्यक्रम फेसबुक एवं यूट्यूब द्वारा लाइव प्रसारित किया गया इस अवसर पर सम्पूर्ण भारतवर्ष के लगभग 500 से अधिक लोग उपस्थिति रहे।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *