तीरथ सरकार नरम और हरिद्वार के व्यापारी गरम, व्यापारिक आंदोलन के पीछे की राजनीति





नवीन चौहान
उत्तराखंड की तीरथ सिंह रावत की सरकार व्यापारियों की समस्याओं को लेकर पूरी तरह से नरम है। लेकिन हरिद्वार के व्यापारी पूरी तरह से गरम है। गर्मी के मौसम में व्यापारिक सियासत कर रहे है। हरिद्वार के व्यापारियों को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और नगर विधायक मदन कौशिक के आश्वासन पर भी भरोसा नही है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखने के बाद बाजार को धीरे—धीरे खोलने का आश्वासन सभी व्यापारियों को दिया है। मुख्यमंत्री ने व्यापारियों की आर्थिक स्थिति में सहयोग करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की बात कही है। लेकिन हरिद्वार के व्यापारियों की हठधर्मिता लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार का रूख लचीला है तो व्यापारियों के तेवर उग्र है। उत्तराखंड सरकार के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। व्यापारियों ने जब मुख्यमंत्री और तमाम मंत्रियों, विधायकों से मुलाकात करने के बाद सरकार को ज्ञापन सौंप दिया और सरकार की ओर से सकारात्मक आश्वासन मिल गया तो ऐसे आंदोलन करके सरकार को घेरने की मंशा के पीछे कौन सा मकसद है।
कोरोना संक्रमण की दूसरी
लहर बेहद ही भयावय थी। मौत का मंजर आंखों के सामने तैरता रहा। सैंकड़ों परिवारों के घरों में मौत ने दस्तक दी। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सरकार की तमाम चिकित्सा व्यवस्था नाकाफी हो गई। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निर्देशों पर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के दृष्टिगत लॉकडाउन लगाया गया। लॉकडाउन के चलते कोरोना संक्रमण की स्थिति पर काबू पाया गया। लॉकडाउन सफल रहा और तमाम कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में सरकार और प्रशासन को कामयाबी मिली। तीरथ स​रकार की रणनीति सफल रही और कोरोना संक्रमण काफी हद तक कम हो गया। वही दूसरी ओर लॉकडाउन से आहत हरिद्वार के व्यापारियों ने सरकार को घेरने के लिए राजनीति शुरू कर दी।
प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले सभी व्यापारिक इकाईयों ने एकाएक ताली थाली बजाकर उत्तराखंड सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। नगर विधायक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को बाजार खोलने और अपनी समस्याओं का पुलिंदा सौंपते हुए मांगपत्र सौंप दिया। मदन कौशिक ने समस्याओं का निस्तारण करने और जल्द बाजार खोलने का आश्वासन दिया। उसके बाद व्यापारियों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के प्रतिनिधि ओम प्रकाश जमदग्नि, राज्यमंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, जिलाधिकारी सी रविशंकर को ज्ञापन सौंपा।
व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से दो बार मुलाकत की और ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री ने व्यापारियों की समस्याओं को संजीदगी से सुना और जल्द ही समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन दिया।
लेकिन व्यापारियों को सरकार के मुखिया के आश्वासन पर कोई भरोसा नही हुआ। मदन की बात भी उनकी समझ में नही आई। जिसके बाद व्यापारियों ने मौन व्रत कार्यक्रम का आयोजन करके अपना विरोध जताया। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों की चाबियां सौंपने को लेकर प्रदर्शन किया। इसी क्रम में स्कूल की फीस को लेकर व्यापारियों ने एक बार फिर अपना विरोध जताया। कुल मिलाकर हरिद्वार का व्यापारी वर्ग सरकार के खिलाफ आंदोलन करके अपनी सियासी रोटी सेंक रहा है।
अगर इन आंदोलन से हटकर वास्तविकता की बात करें तो कोरोना संक्रमण की आपदा से आहत होने वाले एक— एक सामान्य नागरिकों के हितों को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह से संजीदा है। जिन गरीबों ने प्रदर्शन नही किया, उनकी भी मदद सरकार की ओर से ​की जा रही है। गरीबों के लिए राशन, दवाईयां और राहत सामग्री घर—घर पहुंचाई जा रही है। गरीब जरूरतमंदों ने सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन व प्रदर्शन नही किया। वही दूसरी ओर हरिद्वार के व्यापारियों की बात करें तो वह सरकार के आश्वासन के बाद भी मुखर है। व्यापारियों के तेवरों में कोई कमी नही है।
सबसे अहम बात यह ​है कि जब तक रेल और बस की सेवाएं और हरिद्वार के बार्डर पर आवागमन सुचारू नही होगा तब तक बाजारों के खोलने का कोई अर्थ ही नही है। पर्यटक ही नही होंगे तो दुकान खोलने से कौन सा कारोबार चलेगा। व्यापारियोंं को कौन सा फायदा होगा।
एक व्यापारी ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि घर पर पत्नी से रोज खटपट होती है। दुकान पर जाकर बैंठेगे तो मन बदल जायेगा। पत्नी से झगड़ा भी नही होगा। ऐसे में सवाल यह भी है कि लॉकडाउन पारिवारिक झगड़े की वजह तो नही बन गया।
फिलहाल लॉकडाउन खोलने को लेकर सरकार जल्द ही निर्णय करने वाली है। बाजार जल्द खुल भी जायेंगे। लेकिन व्यापारिक आंदोलन की सियासत के पीछे चर्चाओं का बाजार गरम रहेगा।



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