कृषि यूनिवर्सिटी के डीन पर गोली चलाने वाले पकड़े गए, साजिश में सामने आया महिला प्रोफेसर का नाम




नवीन चौहान.
एसओजी व थाना दौराला पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्व विद्यालय के पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता/डीन डा. राजवीर सिंह पर गोली चलाने वाले तीन अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें दो शूटर हैं जिन्हें हत्या के लिए पांच लाख की सुपारी दी गई थी। जबकि एक अभियुक्त वो है जो इस पूरी साजिश में शामिल रहा। पुलिस की जांच में इस पूरे प्रकरण के पीछे वेटनरी कॉलेज की ही एक महिला प्रोफेसर का नाम भी सामने आया है।

पुलिस के मुताबिक डॉ राजवीर सिंह पर दिनांक 11/03/2022 को समय करीब 17.00 बजे PD FSR/IIFSR गेट के पास बाइक सवार अज्ञात बदमाशों ने हत्या करने की नीयत से ताबड़तोड़ गोली बरसा दी थी। इस सम्बन्ध में पीडित के पुत्र डाक्टर भानू प्रताप निवासी बी-68 डिफेन्स एन्कलेव थाना कंकरखेडा जिला मेरठ द्वारा थाना दौराला पर मु0अ0स0 89/2022 धारा 307 भादवि बनाम अज्ञात पंजीकृत कराया गया था।

घटना का खुलासा करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी द्वारा पुलिस अधीक्षक अपराध व पुलिस अधीक्षक नगर, क्षेत्राधिकारी अपराध व क्षेत्राधिकारी दौराला के निर्देशन में टीमें गठित की थी। टीम में शामिल एसओजी मेरठ व थाना दौराला पुलिस द्वारा जांच के दौरान डा0 आरती भटेले, अनिल बालियान, मुनेन्द्र बाना, आशू चड्डा, नदीम के नाम प्रकाश में आये।

ठोस साक्ष्य व मुखबिर की सूचना पर दिनांक 20/03/2022 को समय 21.35 बजे कृषि विश्वविद्यालय वाले रास्ते पर गंदे नाले की पुलिया के पास ग्राम पबरसा रोड से गोली चलाने वाला शूटर आशू चड्डा को घटना में प्रयुक्त तमंचा 315 बोर मय दो कारतूस व एक पिस्टल .30 बोर मय 9 मैगजीन मय 63 कारतूस .30 बोर व बाइक स्पलेन्डर व सुपारी की रकम 4 लाख रूपयों के साथ पकड़ा। इसके अलावा हत्या के षड्यन्त्र में शामिल अभियुक्त मुनेन्द्र बाना मय गाडी स्कार्पियो जिससे घटना से पूर्व रेकी की गयी थी व हत्या का प्रयास कराने वाला अनिल बालियान द्वारा शूटर आशू चड्डा व मध्यस्थता कराने वाले मुनेन्द्र बाना को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार अभियुक्तोें में अनिल बालियान ने पूछताछ में बताया कि वर्ष 2014 में मैंने अपनी बेटी का एडमिशन B.Sc A.G. में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्व विद्यालय मोदीपुरम में कराया था। वेटनेरी कॉलेज की प्रोफेसर डा. आरती भटेले से तभी से जान पहचान हो गयी थी और हमारे सम्बन्ध काफी घनिष्ठ हो गये थे। जिस कारण मेरी पत्नी वर्ष 2019 में मुझे छोडकर गाँव सिसौली चली गयी। मेरा बड़ा लडका बैंगलोर में नौकरी करता हैं तथा छोटा लड़का देहरादून में पढाई करता हैं। मैं अपने फ्लैट पर अकेला रहता हूँ, अक्सर मेरे घर पर डा0 आरती भटेले आती रहती है।

मुझे डा0 आरती भटेले ने कहा यदि डा0 राजबीर सिंह रास्ते से हट जाये तो मैं डीन बन जाऊंगी तो मेरी इज्जत बढ जायेगी और आपकी लडकी की नौकरी कृषि विश्वविद्यालय में लगवा दूंगी। आगे का सभी काम आसान हो जायेगा, डा0 आरती भटेले ने यह भी कहा जब डा0 राजबीर सिंह अवकाश या अन्य कार्य से विश्वविद्यालय से बाहर जाते है तो डीन का कार्यभार मेरे से जूनियर डाक्टर विजय को देकर जाते है जिसमें मेरे मान सम्मान को ठेस पहुँचती हैं।

इस सम्बन्ध में डा0 आरती भटेले द्वारा उच्चाधिकारीगणों को कई बार पत्राचार किया गया । डा0 आरती भटेले की बात सुनकर मैंने सोचा की यदि डा0 राजवीर सिंह रास्ते से हट जायेगे तो डा0 आरती भटेले से मेरे सम्बन्ध और अच्छे हो जायेगे और बने रहेगे और मेरी लडकी भी नौकरी लग जायेगी। इस लालच में मैंने अपने दोस्त मुनेन्द्र बाना से 25 फरवरी को सम्पर्क किया था और पूरी बात मैंने मुनेन्द्र बाना को बतायी थी और कहा था कि डा0 राजवीर सिंह को रास्ते से हटाना हैं। तब मुनेंद्र ने बताया कि मेरा फुफेरा साला आशू चड्डा 09 फरवरी को जेल से बाहर आया है । वह यह काम कर देगा । तब दिनांक 04.03.2022 को मुनेन्द्र बाना के घर पर हम लोगों की मीटिंग हुई जिसमें मैं व मुनेन्द्र बाना व आशू चड्डा व आशू चड्डा का दोस्त नदीम हम चारो लोगों ने डा0 राजबीर सिंह की हत्या के षडयंत्र की योजना बनायी थी।

मुनेन्द्र बाना व आशू चड्डा व नदीम से डा0 राजवीर सिंह को हटाने के कारण भी बताये थे, इसके बाद दिनांक 07.03.2022 को मैंने व मुनेन्द्र बाना ने मुनेन्द्र बाना की स्कार्पियो गाडी मय आशू चड्डा व नदीम को गाडी मे बैठाकर डा0 राजवीर सिंह के घर से लेकर कृषि विश्व विद्यालय तक की रेकी करायी व गाडी नम्बर नोट कराया व डा0 राजबीर सिंह का फोटो दिया था। रेकी वाले दिन ही मैंने अपनी लाईसेन्सी पिस्टल .30 बोर व 9 मैगजीन जिनमें 07-07 राउण्ड भरे हुए थे आशू चड्डा को दिये और कहा कि डा0 राजबीर सिंह को मारने की घटना के समय आपके अस्लाह काम नहीं करे तो मेरा यह पिस्टल प्रयोग कर लेना। एक लाख रुपये कैश दिये थे और बाकि चार लाख रूपये की रकम काम होने पर देने की बात तय हुई।

दिनांक 11.03.2022 को मैंने डा0 आरती भटेले को वाट्सअप काल करके अपने पास बुलाया डा0 आरती भटेले अपनी गाडी से समय करीब 15.30 बजे मेरी कालोनी में आयी और डा0 भटेले की गाडी कालोनी में खड़ी करके मैं व डा0 आरती भटेले मेरी गाडी से बाजार से खरीदारी करने के लिए जानबूझकर गये की हम दोनों घटना के समय कैमरों के सामने रहेगें किसी को हम पर कोई शक न हो। हम दोनों शॉप्रिक्स माल गये फिर सदर बाजार गये रात्रि 20.30 बजे के करीब वापस आये और हम दोनों ने कहा कि अब एक दूसरे को कॉल नहीं करेंगे। जो भी कॉल करेंगे वाट्सअप कॉल करेंगे और आपस में नहीं मिलेंगे। इसके बाद डा0 आरती भटेले कैम्पस में चली गयी।



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