ये है मां दुर्गा का जन जननी मंदिर, यहां माता के दर्शन करने आता है शेर




हिमानी
तपोभूमि उत्तराखंड। एक ओर जहाँ नदियाँ, पेड़ पौधे, पहाड़, झरने इसकी बहुमूल्य प्राकृतिक सुन्दरता का प्रमाण देते है वहीं दूसरी ओर सैकड़ों मंदिर इसकी पूर्ण दिव्यता का का दर्शन कराते हैं। कहते है कि भगवान ने स्वयं अपने हाथों से इस नगरी की रचना की है और ऋषि मुनियों ने सैकड़ों साल यज्ञ तप करके इसे दिव्यभूमि बनाया है। दुनिया की भव्य और विशाल इमारतें और आलीशान घर यहाँ के मंदिरों के आगे कुछ भी नहीं है। हम भी आपको ले चलते हैं एक अनोखे और अदभुत दुर्गा माँ के जन जननी मंदिर की ओर। जहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता आपका मन मोह लेगी वहीं यहाँ कि चमत्कारी और रहस्यमयी घटनायें सुनकर आप चमत्कार को नमस्कार जरुर करेंगे।

उत्तराखंड हमें कई बार देवी देवताओ के होने का सबूत देती है इसीलिये इसे देव भूमि भी कह्ते है यहाँ अनेको मंदिर हैं जिनकी अपनी पहचान और अलग- अलग मान्यता है। इनमे से एक मंदिर है दुर्गा माता का“जन जननी मंदिर “……जहां माता रानी के दर्शन करने सिर्फ लोग ही नहीं बल्कि उनकी सवारी शेर भी आता है। जी हाँ सही सुना आपने…. शेर खुद माँ के दर्शन करने आता है। जिन लोगो ने भी शेर को देखा उनके मुँह से बस यही शब्द निकलते है कि ….जैसे भक्त भगवान के बिना अधूरे है, वैसे ही भगवान भी भक्त के बिना अधूरे है….और लोगो का सिर खुद ही उस शेर की भक्ती के आग झुक जाता है। और तो और वह शेर मंदिर में किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता और माथा टेककर चले जाता है।ये मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार से महज 13 किमी की दूरी पर है। नवरात्र के समय यहां माता रानी के दर्शनो के लिये भक्तों की भीड़ लगी रहती है मंदिर के पुजारियो ने ह्मे स्वयं बताया कि नवरात्र के दिनों में दुर्गा माता के दर्शन करने के लिए माता का प्रिय भक्त यहाँ स्वयं शेर आता है और उनके आगे माथा टेक कर आशीर्वाद लेकर वापस लौट जाता है। चलिये इसके अलावा एक ओर चौकाने वाला तथ्य आपको बताते है कि मंदिर मे माँ दुर्गा की मूर्ति के नीचे एक गुफा है जो सीधे जंगल की ओर जाती है। गुफा मे हमेशा एक अखण्ड ज्योत भी जलती है। यह ज्योत आज तक कभी नही बुझी। इतना ही नही इस दिव्य मंदिर को चारों तरफ से पहाड़ घेरे है और मंदिर के पास ही नदी बहती है जिसका कलकल बहता पानी और सभी भक्तो का मन मोह लेता है मानो की सारा संसार संगीतमय हो जाता है। भक्त व सैलानी यहाँ के पहाड़ों पर भी घूमने आते हैं तो वह सभी यहाँ की शुद्ध हवा मे भरी दिव्यता का अनुभव करते है और तरो ताजा हो जाते है। मंदिर देखने में छोटा है लेकिन माता के दर्शन करने के बाद और यहाँ कि प्राकृतिक सुन्दरता देखने के बाद उसे यह जगह स्वर्ग का अनुभव कराती है से कम नही है।इसीलिये अगर कभी आप भी कोटद्वार जाये तो, इस दुर्गा मंदिर के दर्शन जरुर करें खासकर नवरात्र के दिनों में क्योंकि इन दिनों शेर भी दुर्गा माता की पूजा करने आते हैं। घबरायें डरे नहीं शेर आपको नुकसान नहीं पहुँचायेंगा…और आपका मन हमेशा के लिये यहाँ का हो जायेगा। और भक्ती की शक्ति का ऐहसास आप स्वयं करेगे।

दुर्गा देवी मंदिर , कोटद्वार शहर से लगभग 11 कि.मी. और लैंसडाउन से 28 किमी की दूरी पर समुन्द्रतल की सतह से 600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यह मंदिर कोटद्वार शहर में पूजा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।



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