देवस्थानम बोर्ड भंग करने का कोई औचित्य नहीं




नवीन चौहान.
देवस्थानम बोर्ड भंग करने का कोई औचित्य नहीं है। उत्तराखंड में भविष्य में चारों धामों में एक करोड़ से अधिक तीर्थयात्री आएंगे। इसी को देखते हुए इन धामों की व्यवस्था के लिए किसी अलग प्रशासनिक इकाई की आवश्यकता जब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे तभी से अनुभव की जाने लगी थी।

नारायण दत्त तिवारी ने चार धाम विकास परिषद का गठन इसी उद्देश्य के लिए किया था। जिसके पहले उपाध्यक्ष डॉक्टर अनुसूया प्रसाद मैखुरी थे। उसके बाद खंडूरी और निशंक सरकार में भी चार धाम विकास परिषद अस्तित्व में रही और उसके उपाध्यक्ष सूरत राम नौटियाल थे।

उसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में भी चार धाम विकास परिषद अस्तित्व में रहा और उसके उपाध्यक्ष शिवप्रसाद मंगाई जी रहे। भविष्य में अब चारधाम यात्रा मार्ग बन कर लगभग तैयार है।

2024 तक रेल नेटवर्क तैयार हो जाएगा और हवाई सेवाएं तथा रोप-वे बन जाएंगे साथ ही दिल्ली देहरादून की दूरी भी 2 घंटे की रह जाएगी ऐसे में उत्तराखंड के चारों धामों में प्रतिवर्ष 1 करोड़ से अधिक लोग दर्शनों के लिए आएंगे।

इसी के लिए आवश्यक है कि देवस्थानम बोर्ड जैसी सरकारी संस्था अस्तित्व में रहे जो इन चारों दामों में इंफ्रास्ट्रक्चरल विकास और अवस्थापना सुविधाओं को विकसित करे। तत्काल प्रबंधन व यात्री सुविधाओं का ध्यान रखें तथा चारों धामों में अवस्थापना सुविधाओं के लिए फंडिंग जुटाए।

चारधाम देवस्थानम बोर्ड पहली इकाई है जिसे सरकार अपने प्रबंधन में लेना चाहती थी। इसी से इन मंदिरों में ढांचागत सुविधाओं का विकास होगा और यात्रियों के लिए सुंदर सुविधाएं जुड़ सकेगी।

ये चारों धाम पूरे देश के और दुनिया के धाम हैं केवल उत्तराखंड के चंद तीर्थ पुरोहितों की मांग को देखकर करोड़ों लोगों के हितों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि सभी तीर्थ पुरोहित चारधाम देवस्थानम बोर्ड के विरुद्ध नहीं हैं और अन्य पुरोहित भी केवल मंदिरों की परम्पराओं और प्राचीन व्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध कर रहे हैं ना कि बोर्ड का।

केवल राजनीतिक संदर्भ से जुड़े कुछ लोग ही बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को यथा शीघ्र चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का स्ट्रक्चर बनाकर फंक्शन में लाना चाहिए। और चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधीन कार्यरत कर्मचारियों को स्ट्रक्चर के अनुसार वेतन देना चाहिए। तथा चारों धाम हाईटेक बनें ।



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