मुंडन से शुरू होगी जूना अखाड़े में एक हजार नागा सन्यासी बनाने की प्रक्रिया




नवीन चौहान.
नागा सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाडे में सोमवार को एक साथ एक हजार नागा सन्यासियों के बनने की प्रक्रिया शुरू होगी। श्रीपंच दशनाम अखाड़े के सभी चारों मढ़ियों चार, सोलह, तेरह व चौदह में दीक्षित होने वाले नागाओं का मुण्डन प्रक्रिया प्रातः आठ बजे से दुःखहरण हनुमान मन्दिर के निकट स्थित धर्म ध्वजा तणियों के नीचे प्रारम्भ होगी।

अलकनंदा घाट पर होगा गंगा स्नान
नागा सन्यासियों के मुंडन प्रक्रिया के बाद सभी नागा एक साथ अलकनंदा घाट पर गंगा स्नान करेंगे। तत्पश्चात सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड, कंमडल धारण कर स्नान के लिए जाएंगे। इस दौरान ब्राहण पण्डितों द्वारा सभी नागाओं का स्नान के दौरान स्वयं का श्राद्व कर्म सम्पन्न कराया जाएगा।

जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कि नागा सन्यास प्रक्रिया प्रारम्भ होने पर सबसे पहले सभी इच्छुक नागा सन्यासियो का मुण्डन प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बाद सभी गंगा स्नान करेंगे। इस दौरान सन्यासी स्नान करते हुए जीतेजी अपना श्राद्व तपर्ण कर ब्राहण पण्डितों के मंत्रोच्चार के बीच करेंगे। इसके बाद वापस धर्मध्वजा की तृणियों के नीचे बिरजा होम में सभी सन्यासी भाग लेगे। प्रातः चार बजे अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर द्वारा प्रेयस मंत्र दिया जायेगा। प्रेयस मंत्र के बाद पुनः गंगा स्नान करने जायेगे,जहां पर उनका शिखा विच्छेदन किया जायेगा।
कठिन परीक्षा से होगा गुजरना
श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कि नागा सन्यासी बनने के कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहले नागा सन्यासी को महापुरूष के रूप में दीक्षित कर अखाड़े में शामिल किया जाता है। तीन वर्षो तक महापुरूष के रूप में दीक्षित सन्यासी को सन्यास के कड़े नियमों का पालन करते हुए गुरू सेवा के साथ साथ अखाड़े में विभिन्न कार्य करने पड़ते है। तीन वर्ष की कठिन साधना में खरा उतरने के बाद कुम्भ पर्व पर उसे नागा बनाया जाता है।
आचार्य महामंडलेश्वर की देखरेख में होगी प्रक्रिया
यह समस्त प्रक्रिया अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर की देख रेख में सम्पन्न होती है। प्रातःकाल सभी सन्यासी पवित्र नदी तट पर पहुचकर स्नान कर सन्यास घारण करने का संकल्प लेते हुए डुबकी लगाते है तथा गायत्री मंत्र के जाप के साथ सूर्य,चन्द्र,अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी,दशो दिशाओं सभी देवी देवताओं को साक्षी मानते हुए स्वयं को सन्यासी घोषित कर जल में डुबकी लगायेंगे। तत्पश्चात आचार्य महामण्डलेश्वर द्वारा नव दीक्षित नागा सन्यासी को प्रेयस मंत्र प्रदान किया जायेगा।



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