नागा सन्यासियों की दीक्षा शु​रू, विधि विधान के साथ की जा रही संपूर्ण प्रक्रिया




नवीन चौहान.
नागा संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में सोमवार से ‘सन्यास दीक्षा’ का बृहद आयोजन शुरू हो गया है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सचिव व कुंभ मेला प्रभारी महंत महेशपुरी के मुताबिक संन्यास दीक्षा के लिए सभी चारों मढ़ियों, जिसमें चार, सोलह, तेरह और चौदह मढ़ी शामिल हैं, उन नागा संन्यासियों का पंजीकरण किया गया।

महंत महेशपुरी के मुताबिक आवेदकों की बारीकी से जांच के बाद दीक्षा के लिए केवल योग्य एवं पात्र साधुओं का ही चयन किया गया है। नागा संन्यासी बनने के लिए कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहले नागा संन्यासी को महापुरुष के रूप में दीक्षित कर अखाड़े में शामिल किया जाता है।

तीन सालों तक महापुरुष के रूप में दीक्षित संन्यासी को संन्यास के कड़े नियमों का पालन करते हुए गुरु सेवा के साथ-साथ अखाड़े में विभिन्न कार्य करने पड़ते हैं। तीन साल की कठिन साधना में खरा उतरने के बाद कुंभ पर्व पर उन्हें नागा बनाया जाता है। दीक्षा प्रक्रिया आचार्य महामंडलेश्वर के दिशा–निर्देशन में चल रही है।



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