स्वामी यतीश्वरानंद की दरियादिली, जिसने चुनाव में हरवाया उसी को गले लगाया




नवीन चौहान.
पुरानी कहावत है कि राजनीति में ना कोई स्थाई मित्र होता है और ना ही कोई स्थाई शत्रु होता है। मौके की नजाकत को देखकर ही नेता पार्टी बदलते हैं। अपने राजनीतिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए नेता पार्टी का चयन करते हैं।

ऐसा ही उदाहरण हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर देखने को मिला है। कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी कांग्रेस नेता धर्मेंद्र प्रधान ने विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद को हराने का कार्य किया, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया।

स्वामी यतीश्वरानंद की दरियादिली देखिए कि जिस धर्मेंद्र प्रधान ने चुनाव में उन्हें हरवाया उसी को भाजपा में शामिल कराया। शायद यही संघ के संस्कार भी है, जिसने भाजपा को देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाया दिया हैं।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर सभी की नजरें गड़ी थी। कारण यह रहा कि भाजपा प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत चुनाव मैदान में थी। अनुपमा रावत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वामी यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को बड़े अंतर से हराया था।

साल 2022 के इस चुनाव में हरीश रावत के बेहद करीबी नेता धर्मेंद्र प्रधान चुनाव प्रचार करने में लगे थे। धर्मेंद्र प्रधान एक बार फिर पूरी सक्रियता के साथ चुनाव मैदान में थे और वह अनुपमा रावत का प्रचार कर रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान वह भाजपा प्रत्याशी स्वामी के खिलाफ आग उगल रहे थे और अनुपता रावत को वोट देने की अपील कर रहे थे।

वह अपने इस मकसद में कामयाब भी हो गए और ग्रामीण सीट से अनुपमा रावत चुनाव जीत गई। लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार में आ गई और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। हरीश रावत चुनाव हार गए और उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया।

ऐसे हालात में कांग्रेस के धर्मेंद्र प्रधान ने अपना राजनीतिक भविष्य भाजपा में सुरक्षित समझते हुए स्वामी यतीश्वरानंद के वेद मंदिर आश्रम में शरण ली और भाजपा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। बस यहीं पर स्वामी यतीश्वरानंद ने दरियादिली दिखाई और संत की तरह बड़ा दिल दिखाते हुए धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा में शामिल करा दिया। धर्मेंद्र प्रधान अब स्वामी जी के साथ कदमताल कर रहे हैं।

स्वामी जी ने धर्मेंद्र प्रधान का परिचय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी कराया। इसी के साथ धर्मेंद्र प्रधान का एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री के करीब जाने का रास्ता साफ हो गया है।

अब देखने वाली बात यह है कि क्या धर्मेंद्र प्रधान के भाजपा में मंसूबे पूरे हो पाएंगे? क्या जो रुतबा उनका कांग्रेस में था वह भाजपा में मिल पाएगा? क्या भाजपा जिला पंचायत चुनाव में उनको प्रत्याशी बनाएगी? या फिर वह एक आम कार्यकर्ता की तरह भाजपा का झंडा उठाकर घूमेंगे। फिलहाल तो स्वामी जी ने धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा में शामिल करा कर कांग्रेस को करारा झटका दिया है।



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