शवों के अंतिम संस्कार से चीत्कार रहा शमशान, रूक नहीं रहा सांसों के रूकने का ​सिलसिला




नवीन चौहान.
हे प्रभु अब बस करो, या अल्लाह रहमत, हर धर्म मजहब समाज के लोगों के मुंह से अब ये ही शब्द निकल रहे हैं . शमशान घाट हो या क​ब्रिस्तान सभी जगह एक सा हाल है . एक के बाद एक शव अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट में पहुंच रहे हैं. आलम ये है कि मुक्तिधाम में चिता जलाने के लिए जगह नहीं मिल रही है, ऐसी स्थिति हो गई है कि अब शमशान भी चीत्कारने लगे हैं.

कंधा तक नसीब नहीं, दुख भी नहीं जा रहा बांटा
जिस तरफ देखों करूण रूंदन सुनाई पड़ रहा है. शहर का कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं है जहां कोरोना संक्रमित मरीज न हो. संक्रमित लोगों को अस्पतालों में इलाज के लिए तो जगह मिल ही नहीं रही है , इस महामारी में जो लोग काल का ग्रास बन गए अब उन्हें अंतिम संस्कार के लिए शमशान भी जगह नहीं मिल रही है. हर तरफ गम और दहशत का माहौल बनता जा रहा है . अपनो को खो रहे लोगों का दुख बांटा नहीं जा रहा है.

अर्थियों और जनाजों को कंधा तक नसीब नहीं हो रहा है. इस महामारी में पड़ोसी भी मदद के लिए आगे आने से डर रहा है. रिश्तेदार परिचित मृतक के परिजनों को सांत्वना तक देने नहीं जा पा रहे हैं. अब हर किसी को अपनी जान की चिंता होने लगी है. हालात जल्द नहीं सुधरे तो स्थिति और अधिक भयावह होगी.

दिल को चीर रहा करूणरूदंन
हरिद्वार के शमशान घाट में चारों और जलती चिताएं, मृतक के परिजनों को करूण रूदन दिल को चीरता चला जाता है. ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो असमय ही साथ छोड़कर इस कोरोना महामारी के काल का ग्रास बन गए. कहीं बेटी मां की चिता को मुखाग्नि दे रही है तो कहीं पिता पुत्र को मुखाग्नि दे रहा है. कई ऐसे मामले सामने आए जहां अंतिम समय में भी ​परिजनों का साथ नहीं मिला. अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएं समाजिक संगठन के सदस्यों और पुलिस-प्रशासन के सहयोग से करायी गई.

सरकार को दोष देने का समय नहीं
ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या सरकार की लापरवाही या ढिलाई की वजह से ये सब हो रहा है. तो हमें समझना होगा कि यह समय कमियां ​निकालने का नहीं है, यह समय स्वयं ही जागरूक होने का है. सरकार को कोसने से कुछ होने वाला नहीं है, संसाधन सीमित है और जरूरत कई गुना अधिक है. ये अव्यवस्था होनी लाजमी है . ऐसे में हमें स्वयं ही अपनी देखभाल के प्रति जागरूक होना होगा .

सरकार और स्वास्थ्य विभाग की कोरोना गाइड लाइन का गंभीरता से पालन करना होगा. सरकार ने भले ही संपूर्ण लॉकडाउन न लगाया हो लेकिन, यह समय कोरोना के चरम स्तर पर फैलाव का चल रहा है. इस बीमारी से बचने के लिए हमें स्वयं ही अपने आपको घर में कैद कर लेना चाहिए. बेहद जरूरत होने पर ही घर से बाहर नियमों का पालन करते हुए निकलना चाहिए. यदि ऐसा हमनें गंभीरता से कर लिया तो हम जल्द ही कोरोना पर विजय भी प्राप्त कर लेंगे.



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *