गुस्से को शांत करने का साफ्टवेयर तैयार, आप भी उठाये फायदा




नवीन चौहान
किसी भी मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक उसका गुस्सा होता है। गुस्सा अर्थात क्रोध। इस गुस्से के कारण मुनष्य अपनी भीतर छिपी तमाम सकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देता है। नकारात्मक ऊर्जा दिमाग पर हावी हो जाती है। अपने इसी गुस्से के कारण ही एक सफल मनुष्य भी खुद को हारा हुआ और कमजोर महसूस करता है। गुस्से को दूर करने के लिए वैसे तो मेडिटेशन सबसे ज्यादा कारगर उपाय है। लेकिन एक सकारात्मक पुस्तक में लिखे शब्द मानव का जीवन और उसकी सोच बदल देती है। मनुष्यों के लिए ऐसी ही उपयोगी पुस्तक सहायक सूचना निदेशक मनोज ​श्रीवास्तव ने लिखी है। साफ्टवेयर और आपरेटिंग सिस्टम के नाम से लिखी गई इस पुस्तक में क्रोध को काबू करने का कारगर मंत्र दिया है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपके ​मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचार खुद व खुद दूर हो जायेंगे। आपके व्यक्तित्व में एक अलग निखार आ जायेगा। इस पुस्तक का विमोचन प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने विधानसभा सभाकक्ष में किया है।
सहायक निदेशक, सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग मनोज श्री वास्तव ने बताया कि क्रोध हमारी कार्य क्षमता को कम करता है और सम्बन्धों को प्रभावित करता है। क्रोध के स्थान पर शान्ति से कार्य लेना बेहतर विकल्प है। इस सन्दर्भ में यह पुस्तक विशेष प्रासंगिकता रखती है। यह पुस्तक सभी आयु एवं वर्ग के लिए उपयोगी है। उन्होंने कहा कि नकारात्मक विचार छोड़ कर सकारात्मक विचार अपनाने पर गुस्से से बचा जा सकता है।
पुस्तक में क्रोध के अन्य विकल्पों को तलाशने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में क्रोध की समाजशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक एवं चिकित्साशास्त्रीय व्याख्या, दार्शनिक आधार पर की गई है। क्रोध की समस्या से बचने के लिए हमें क्रोध के साफ्टवेयर और आपरेटिंग सिस्टम में बदलाव लाना होगा। हमारा बिलीफ सिस्टम, कम्प्यूटर के आपरेटिंग सिस्टम के समान है। इसमें डाली गई सूचनायें और साफ्टवेयर, कम्प्यूटर में डाले गये आपरेटिंग की सहायता से कार्य करेगी।
लेखक मनोज श्रीवास्तव का दावा है कि यदि पुस्तक में दिये गये उपाय का पालन किया जाय तब हमें शत-प्रतिशत क्रोध से मुक्ति मिल सकती है। परन्तु यदि पुस्तक में दिये गये थोड़े भी उपाय का पालन किया जाय तब हमारा गुस्सा न्यूनतम स्तर पर अवश्य आ जायेगा।
क्रोध का अर्थ, गुस्सा करना जरूरी है, क्रोध के दार्शनिक पहलू, क्रोध हमारी शक्ति नहीं, बल्कि कमजोरी है, आॅफिस और क्रोध, आॅफिस की कार्य संस्कृति, परिवार और सम्बन्धों में क्रोध, गुस्से का संस्कार, क्रोध के मूलभूत कारण, गुस्से का साॅफ्टवेयर और आॅपरेटिंग सिस्ट, ईगो और क्रोध, एक्सेप्टेंस और क्रोध, सहनशीलता और क्रोध, क्रोध का शरीर पर प्रभाव, क्रोध और माफी, क्रोध करने की आदत बदली जा सकती हैं, क्रोध मुक्ति के सामान्य उपाय, क्रोध का स्थाई समाधान मेडिटेशन के साथ, क्रोध-मुक्ति में सहायक सकारात्मक विचार के नाम से उन्नीस अध्यायों में विभाजित विषयों को पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
प्रभात प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक को सूचना विभाग में कार्यरत, वर्तमान में प्रभारी अधिकारी, विधान सभा, मीडिया सेन्टर, सहायक निदेशक मनोज श्रीवास्तव ने डॉ शिप्रा मिश्रा का सहयोग लेकर संयुक्त रूप में पुस्तक लेखन का कार्य किया है। डॉ शिप्रा मिश्रा मुम्बई होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप कार्यरत हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलाई जाने वाली प्रोजेक्ट मुम्बई डिस्ट्रिक्ट एड्स कण्ट्रोल सोसाइटी के अंतर्गत राष्ट्र स्वास्थ्य प्रबोधिनी संस्था में मेडिकल सेवायें दे रही हैं। इसके साथ ही मुम्बई में, ज्यूडिशियल अकादमी में मेडिकल ऑफिसर के पद पर भी सेवारत हैं।
इसके पूर्व मनोज श्रीवास्तव की मेडिटेशन के नवीन आयाम, आत्मदीप बनें, योग एवं योगा की शक्ति, निर्णय लेने की शक्ति और अपना रोल माॅडल स्वयं बनें नामक शीर्षक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी हैं।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *