नवीन चौहान.
उत्तराखंड के हालिया राजनैतिक घटनाक्रम को देखते हुए अगली नवनिर्वाचित सरकार में दो मुख्यमंत्री मिले तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी. जिस तरह उत्तराखंड के नेताओं में मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा प्रबल हुई है.उसको देखते हुए उप मुख्यमंत्री का विकल्प बेहतर है.
भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टी के हाईकमान अपने नेताओं की महत्वकांक्षा से जूझ रहे हैं. इस समय जो उलटफेर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में चल रहा उसके बाद यह तय है कि सरकार चाहे जिस दल की बने लेकिन इस बार प्रदेश में सीएम के साथ एक डिप्टी सीएम मिलेगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि प्रदेश में बड़े नेताओं की लिस्ट लंबी होती जा रही है। वह कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों में सीएम पद के कई कई दावेदार हैं। हालांकि भाजपा ने फिलहाल वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी को ही अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया है। जबकि भाजपा में सीएम पद के लिए और भी चेहरे हैं। इनमें से एक दो चेहरे ऐसे भी हैं जो दूसरे दल को छोड़कर भाजपा में आए थे। ये भी अब चुनाव आने पर अपनी दावेदारी को मजबूत करने में जुट गए हैं। इनमें से एक नेता जी ने हाल ही में चुनाव को लेकर जो बयान दिया है वह सत्ता के गलियारे में चर्चा का विषय बना है। इसीलिए राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि सबको खुश करने के लिए इस बार प्रदेश में डिप्टी सीएम का नया पद भी सर्जन हो जाएगा। इस बार जहां एक सीएम होगा वहीं एक डिप्टी सीएम भी होगा।
कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में ही वापसी कर गए यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य भी बड़े पद की लालसा में ही वापस गए हैं, ऐसा सत्ता के गलियारे में चर्चा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सीएम पद के दावेदार हैं वहीं पार्टी यशपाल आर्य पर भी दांव खेल सकती है। ऐसे में कांग्रेस को भी नाराजगी दूर करने के लिए सीएम के साथ एक डिप्टी सीएम का पद देना होगा। आम आदमी पार्टी ने अभी केवल अपना सीएम चेहरा सामने किया है, लेकिन यदि उसकी सत्ता आती है तो उसे भी गढ़वाल और कुमाऊ के बीच तालमेल बैठाने के लिए एक डिप्टी सीएम बनाना होगा। अब देखना यही है कि राजनीतिक दलों की अपनी महत्वकांशाओं के बीच प्रदेश की जनता का क्या भला होगा।