मौन व्रत एक महत्वपूर्ण साधना: पूर्व कुलपति पीपी ध्यानी




नवीन चौहान.
लोक आस्था के पावन पर्व मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर पूर्व कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय डॉ पीपी ध्यानी ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में आज मानव सुकून से जीवन जीने के बजाए मानसिक तनाव और अवसाद में जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आज के परिप्रेक्ष में जीवन को सुकून से जीने के लिए मौन व्रत से अच्छा कोई उपाय नहीं है। डॉ ध्यानी ने बताया कि संस्कृति में मौन व्रत का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मौन व्रत का मतलब सिर्फ शांत या चुप रहने से नहीं है बल्कि यह एक प्रकार की साधना है, जिससे मानव की उत्पादकता बढ़ती है और वह सुकून से जीवन जीता है।

डॉ ध्यानी ने बताया कि मौन व्रत से मन शांत व पवित्र होता है। एकाक्रता बढ़ती है, तनाव दूर होता है, सकारात्मक सोच बढ़ती है और आध्यात्मिक विकास होता है। सोचने व समझने की शक्ति बढ़ती है, क्रोध पर नियंत्रण होता है। भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलता है। मस्तिक सक्रिय होता है। आत्म जागरूकता बढ़ती है और आत्म मंथन का अवसर प्राप्त होता है, जीवन जीने में सुकून मिलता है।

डॉ ध्यानी मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखते हैं और यही उनकी उत्पादकता व सफलता का रहस्य है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखना चाहिए और यदि न हो सके तो प्रत्येक सप्ताह में एक दिन कम से कम तीन घंटे मौन रखकर अपनी उत्पादकता बढ़ानी चाहिए।



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