सरकार से एक करोड़ लेकर कुंभ नहाने वाले संत अब कोरोना में बहा रहे आंसू




नवीन चौहान
उत्तराखंड सरकार से एक करोड़ की धनराशि लेकर कुंभ का शाही स्नान करने वाले संत अब कोरोना संक्रमण के प्रकोप में अपने संतों की मौत पर आंसू बहा रहे है। संतों की जिद पूरी हुई और हरिद्वार ​की जनता को कोरोना संक्रमण की जद में छोड़ दिया। हरिद्वार में हाहाकार मचा हुआ है। गरीबों को रोटी का संकट हो गया। ​जिलाधिकारी सी रविशंकर चिकित्सा के सीमित संसाधनों में अग्निपरीक्षा दे रहे है। इंसानी जीवन को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे है। कभी आक्सीजन तो कभी वेंटीलेटर की पूर्ति कर रहे है। हरिद्वार की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है। लेकिन अब संत खुद शोकाकुल है।
हरिद्वार कुंभ पर्व 2021 अखाड़ो के संतो की जिदद के लिए याद किया जायेगा। कोरोना संक्रमण की महामारी के बीच कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर पहले से ही भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कोरोना संक्रमण के प्रभाव पर दूरदर्शी सोच रहते हुए कुंभ पर्व के आयोजन को प्रतीकात्मक रखने के पक्षधर थे। धर्म और आस्था को डिजिटल मीडिया के माध्यम से विश्व तक संदेश पहुंचाने की सोच रखते थे। लेकिन अखाड़े के संतों की जिदद आड़े आ गई। संतों ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए, कुंभ आयोजन पर उनकी इच्छा शक्ति पर सवालिया निशान लगा दिया। राजनैतिक घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया और नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हुई। तीरथ सिंह रावत ने दरिया दिली दिखाई और सभी श्रद्धालुओं को हरिद्वार कुंभ में स्नान के लिए आमंत्रित कर लिया। हालांकि हाईकोर्ट के दखल के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने आदेश में कोविड गाइड लाइन को अनिवार्य कर दिया। लेकिन तब तक कुंभ में हालात खराब हो चुके थे। श्रद्धालु बिना कोविड जांच के हरिद्वार पहुंच गए और संक्रमण ने दस्तक दे दी।
जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जिस करीब 22 लाख की आबादी को सुरक्षित बचाकर रखा हुआ था वह संक्रमण की चपेट में आनी शुरू हो गई। हरिद्वार में सीमित कोविड अस्पताल और उनके संसाधन मरीजों के सामने कम पड़ गए। जिलाधिकारी की दृढ़ इच्छा शक्ति जनता की सेवा में समर्पित है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अखाड़ों में संतों की कोरोना से मृत्यु हो रही है। कुंभ पर्व के आयोजन पर सवाल खड़े हो रहे है। सरकार के मंत्री खुद अपने परिजनों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए चिकित्सकों से लड़ रहे है। हालात भयावय है। लेकिन कुंभ पर्व से समूचे विश्व में संतों ने क्या संदेश दिया यह विचारणीय है।



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