कुंभ-2021 के लिए जारी हुई गाइडलाइन, आरटीपीसीआर और अमरनाथ यात्रा की भांति पंजीकरण किया अनिवार्य, जिन्हें है ये बीमारी वे न आएं, ये है अन्य निर्देश




जोगेंद्र मावी
कुंभ-2021 के लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी है। गाइड लाइन के अनुसार कुंभ में स्नान करने वालों को आरटीपीसीआर से संबद्ध लैब से जांच कराकर उसके प्रमाण पत्र के साथ आना होगा। आरपी पीसीआर की रिर्पाट जांच कराने की 72 घंटे से पहले तक की होनी चाहिए, न कि उसे ज्यादा पहले समय की। प्रमाण पत्र की काॅपी मोबाइल फोन पर या हार्ड काॅपी में लाकर दिखानी होगी। कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य रूप से होगा। पंजीकरण श्री अमरनाथजी की यात्रा की तर्ज पर होगा, जिसमें चिकित्सा का प्रमाण पत्र आवश्यक तौर पर रखा गया है। साथ ही गंभीर बीमारी वाले व्यक्ति को सलाह दी है कि कुंभ में स्नान करने न आए। कुंभ पर्व में बीमार कर्मचारी और गर्भवती महिला की ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी। कुंभ क्षेत्र में सफाई कार्य के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं।
केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक साथ सबसे बड़ी भीड़ एक़ित्रत होने का स्थान भी है। यह 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाया जाता है और चार स्थानों पर होता है। इस साल कुंभ मेला उत्तराखंड के हरिद्वार (उत्तराखंड) में आयोजित किया जाएगा। इस आयोजन की संभावित तिथियां 27 फरवरी से-2021 से 30 अप्रैल 2021 तक है। इसमें उम्मीद जताई गई है कि प्रति आयोजन में करीब दस लाख लोग भाग भाग लेंगे या यह संख्या बढ़ भी सकती है। कुंभ के लिए 6 स्नान पर्व है। माघ पूर्णिमा (27 फरवरी 2021), महाशिवरात्रि (11 मार्च 2021), सोमवती अमावस्या (12 अप्रैल 2021), बैसाखी (14 अप्रैल 2021), राम नवमी (21 अप्रैल 2021) और चैत्र पूर्णिमा (27 अप्रैल 2021) हैं। इन पर्वों पर हरकी पैड़ी घाट हरिद्वार में ज्यादा भीड़ होगी। इन आयोजनों में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार की जिम्मेदारी लगाई है। राज्य सरकार को कुंभ मेले के दौरान कोविड-19 और प्रकोप के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करना है।
उच्च जोखिम समूह की आबादी को संरक्षित करने की आवश्यकता है। उत्तराखंड सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता और अन्य कुंभ मेला चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य संचालन के दौरान फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का टीकाकरण प्राथमिकता के तौर पर किया जाए।
उत्तराखंड सरकार पंजीकरण की व्यवस्था के दौरान स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज से प्रमाण पत्र लेकर आएंगे। बिना चिकित्सीय प्रमाण पत्र के किसी भी स्नानार्थियों को प्रवेश न दे।
उत्तराखंड सरकार इस आवश्यकता को सभी राज्यों में व्यापक रूप से प्रसारित करेगी। ताकि गर्भवती महिलाएं 10 साल से कम आयु के बच्चे और 67 साल की आयु से अधिक के व्यक्ति विशेष तौर पर न आए।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, सेरेब्रो, संवहनी रोग, क्रोनिक किडनी रोग, प्रतिरक्षा-दमन और कैंसर से पीड़ित रोगियों को कुंभ में प्रवेश न दिए जाए।
राज्य सरकार के ऐसे कर्मचारी जो बीमार है या गर्भवती महिलाएं हैं, उन्हें ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा। उन्हें किसी भी फ्रंट-लाइन के कार्य में तैनात नहीं किया जाएगा।
कुंभ में आने वालों लोगों के बीच 6 फीट की दूरी होनी चाहिए। बिना मास्क के लिए किसी को प्रवेश नहीं होने दिया जाएगा। यानि मास्क पूरी तरह से अनिवार्य होगा। यह सभी जांच पार्किंग पर एंट्री पॉइंट पर सुनिश्चिित कर लिया जाएगा। यदि कोई लगाकर नहीं आता है तो उस पर जुर्माना लगाए। प्रत्येक व्यक्ति के हाथ धुलवाने के लिए व्यवस्था भी कराई जाए।
हाथों को साबुन से कम से कम 40-60 सेकंड तक धुले, अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग (कम से कम 20 सेकंड के लिए) कर सकते हैं। हाथ धुलने का इंतजाम रेलवे, रोडवेज पर जरूरी करना है।
खांसते या छींकते समय मुंह और नाक पर रूमाल का इस्तेमाल कराना सुनिश्चित करें। थूकना पूरी तरह से वर्जित रहेगा। आरोग्य सेतु ऐप की स्थापना और उपयोग सभी को सलाह दी जाएगी।
थर्मल स्क्रीनिंग, शारीरिक गड़बड़ी, स्वच्छता, आदि पर विशेष ध्यान देना होगा। थर्मल स्क्रीनिंग के लिए प्रवेश द्वार नियत किए जाए। भक्तों के लिए एकाधिक और अलग प्रवेश और निकास सुनिश्चित किया जाएगा। हेल्प डेस्क होना चाहिए।
पंडालों (अखाड़ों), भोजनालयों में, प्रार्थना सभाओं आदि में बैठने की व्यवस्था 6 फीट की होनी चाहिए। दुकानों, स्टालों, कैफेटेरिया आदि की संख्या होनी चाहिए। सामुदायिक रसोई, लंगर, दान आदि का भी भौतिक रूप से पालन करना चाहिए। भोजन तैयार करते और वितरित करते समय मानदंडों को पूरा किया जाए।
भजन, मंत्र, आदि गाकर समूहों द्वारा संक्रमण फैलने के संभावित खतरे को देखते हुए रिकॉर्ड किए गए भक्ति संगीत गाने बजाए जा सकते हैं और गायन समूह मंत्र नहीं होने चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं में कराए वृदिृध
प्रयोगशाला इन्फ्रास्ट्रक्चर, डायग्नोस्टिक्स और परीक्षण हरिद्वार शहर नियमित दिनों में 1 मिलियन की बढ़ती आबादी का कारण बन सकता है। शुभ दिनों में लगभग 5 मिलियन। बड़ी संख्या में नमूनों का परीक्षण करना पड़ सकता है। एम्स, ऋषिकेश संदिग्ध मामलों के नमूनों के परीक्षण का केंद्र बिंदु होगा।
प्रयोगशाला की जांच। सरकारी दून मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, देहरादून और हिमालयन संस्थान, चिकित्सा विज्ञान और हिमालयन अस्पताल (श्री राम हिमालयन विश्वविद्यालय के तहत), जॉली ग्रांट, देहरादून भी नमूनों के परीक्षण के लिए अपनी सुविधाओं को मजबूत करेगा। मेला अस्पताल, राज्य सरकार द्वारा सात पहचाने गए अस्पताल, भेल मुख्य अस्पताल और चार पहचाने गए निजी अस्पतालों में आरटी-पीसीआर परीक्षण भी होगा।
परीक्षण के लिए आरटी-पीसीआर मोबाइल लैब भी लगवाए।
मेला स्थल क्षेत्र में अस्थायी अस्पताल स्थापित किए जाएं। मरीजों को भर्ती करने के लिए बडे स्तर पर बेड की व्यवस्था की जाए। जिसमें हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून में लगभग 2,800 है। बडे आकार के अस्थायी अस्पताल (1000 बेड) जो कम से कम बिस्तर की क्षमता के भी बनाए जाएं। कुल 2,000 बेड की व्यवस्था की जाए। राज्य सरकार पीपीई किट, उपभोग्य सामग्रियों की आवश्यकता का भी आकलन करेगी। मानव संसाधन, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर, और यदि आवश्यक हो, अच्छी तरह से खरीद और संग्रहीत करेगा अग्रिम रूप से कर लें।
जरूरत पड़ने पर एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों की सहायता लें और आॅन काल संपर्क करें।
कुंभ क्षेत्र में सफाई पर अधिक फोकस रखने को दिए निर्देश
कूड़ा एकत्रित करने के लिए बड़े स्तर पर डस्टबिन लगाए जाएं। संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के सार्वजनिक उपयोगिता क्षेत्रों और खुले स्थानों को दिन में कम से कम दो बार साफ किया जाएगा। जिसमें कुंभ मेला परिसर के भीतर सोडियम हाइपोक्लोराइट से सफाई की जाए। सफाई नियमित रूप से कीटाणुशोधन (सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग करके) छुए हुई सतहों (हैंड्रिल, क्यू बैरिकेड्स, सीटें, बेंच, वॉशरूम फिक्स्चर, आदि) सभी सार्वजनिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले स्थानों पर करें। शौचालय, हाथ धोने और पीने के पानी के स्टेशनों की सफाई की जाएगी। कर्मचारियों को मास्क लगाना अनिवार्य किया जाए। इस प्रकार उत्पन्न कचरे का निपटान किया भी सावधानी पूर्वक और नियत स्थान पर किया जाए।



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