नवीन चौहान.
बात कड़वी जरूर है पर विचार के योग्य है। चुनावी माहौल में अब मुददे नहीं फ्री की योजनाओं पर जोर रहने लगा है। एक दल बिजली का आधा बिल माफ करने की बात कहता है तो दूसरा दिल बिजली फ्री देने की प्रलोभन भोलीभाली जनता को देता है।
इस मुफ्त की आदत ने हमें भी कामचोर कर दिया है। राशन फ्री मिल रहा है तो मजदूर भी मजदूरी छोड़कर घर बैठने लगे हैं। उनका कहना है कि राशन तो सरकार दे ही रही है, फिर काम क्यों करना। इसी तरह बिजली फ्री मिल रही है तो फिर चिंता किस बात की, खूब खर्च करो बिजली। आम आदमी को प्रलोभन देने के लिए अब राजनीतिक दलों ने ये नई तरकीब निकाल ली है। एक तरह से वह ये सब फ्री देकर हमारी वोट हमसे खरीद रहे हैं और हम भी बेवकूफ बनकर चंद पैसों की खातिर उनके हाथों में बिक रहे है।
जरा सोचिए कि सरकार जो राशन फ्री दे रही है उसके लिए पैसा कहां से आ रहा है। बिजली फ्री देने की बात जो कर रहा है उस बिजली को खरीदने के लिए पैसा कहां से आएगा। किसान—मजदूरों के खाते में नकद पैसा दिया जा रहा है वह पैसा कहां से आ रहा है। ये सब पैसा किसी सरकार का नहीं है, ये पैसा है उस टैक्स देने वाले भारतीय नागरिक का जो दिनरात मेहनत कर पैसा कमाता है और अपनी कमाई में से सरकार को टैक्स देता है।
लोग पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने पर चिल्लाने लगते हैं कि पैसा क्यों बढ़ा, लेकिन सरकार जब फ्री में बांट रही है तब ये नहीं कहते कि हमें मुफ्त का राशन नहीं ऐसा रोजगार दो जो हम खुद खरीद कर खा सके। कुछ लोगों को यह बात बुरी लग रही होगी, लेकिन ये सच है कि कोई भी सरकार हो वह अपने पास से कभी कुछ नहीं देती, वह जो देती है जनता से ही लेकर देती है।
इसीलिए हमें सरकार से यदि कुछ फ्री में लेना ही है तो इलाज की सुविधा लेनी चाहिए, ताकि कोई बीमार हो तो उसे इलाज के लिए पैसों की चिंता न करनी पड़े। उसका अस्पतालों में इलाज फ्री में हो। व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आयुष्मान कार्ड की जरूरत ही न हो। सरकारी अस्पताल ऐसे हो कि प्राइवेट में जाने की जरूरत ही न हो।
इसी तरह सरकार को पढ़ाई फ्री में देनी चाहिए। स्कूल चाहे सरकारी हो या प्राइवेट उनका स्तर एक जैसा होना चाहिए। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का भी टारगेट होना चाहिए। उनके द्वारा पढ़ाए जा रहे बच्चे किसी भी कम्पीटिशन में अपनी प्रतिभा का परिचय दे सके, ऐसी उनकी तैयारी होनी चाहिए। सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था पर भी विचार करना चाहिए।
यदि हम गंभीरता से सोचेंगे तो समझ में जा जाएगा कि हमें फ्री राशन की जरूरत है या फिर ऐसी व्यवस्था की जिसमें हमें राशन के लिए कतार में लगना ही न पड़े। हमें सोचना होगा कि हमें फ्री बिजली चाहिए या फिर ऐसी व्यवस्था की बिजली का बिल भरने के लिए हमें चिंता ही नहीं करनी पड़े। ऐसा तभी होगा जब हमें अपने स्वयं के हित को छोड़कर देश हित की सोच को कायम करें।
यहां यह भी कहना बहुत जरूरी है कि भ्रष्टाचार खत्म करने के दावे तो बहुत किये जाते हैं लेकिन हकीकत यहीं कि अभी भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है। रिश्वत लेने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के कानून बनने चाहिए। ऐसे दोषियों को सेवा से तत्काल बाहर करना चाहिए। उन्हें सुनवाई का मौका भी नहीं दिया जाना चाहिए। यह तभी हो सकता है जब सरकारी नौकरी करने वाले अधिकारी और कर्मचारी में जनता की सेवा का भाव होगा। जब वह अधिकारी या कर्मचारी बना रहेगा आम जनता की सेवा नहीं कर सकता। अंत में यही कि चुनाव आ रहे हैं इसलिए हमें फिर से सोचना होगा कि कैसा नेता हमें चाहिए।