एसडीएम कुश्म चौहान के हरिद्वार में डेढ़ साल बेमिशाल




नवीन चौहान
एसडीएम कुश्म चौहान के हरिद्वार में डेढ़ साल बेमिशाल रहे। इस दौरान उन्होंने खनन माफियाओं की नाक में खूब दम किया। माफियाओं के मंसूबों को पूरा नही होने दिया। माफियाओं की एसडीएम कार्यालय में नो एंट्री रही। कोरोना संक्रमण काल की आपदा की घड़ी में गरीबों की खूब सेवा की। ग्रामीण जनता की समस्याओं को उन्होंने प्राथमिकता से निस्तारण किया। उत्तराखंड के राजस्व कोष में इजाफा करने के लिए माफियाओं से जमकर जुर्माना वसूल किया। कुल मिलाकर कहा जाए तो उन्होंने अपने पद का पूरा सम्मान किया। अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और वफादारी से निभाया। उनकी कार्यशैली जनहित में रही। उनकी ईमानदार कार्यशैली के चलते ही पदोन्नती के साथ कुश्म चौहान को देहरादून सिटी मजिस्ट्रेट पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई।
16 फरवरी 2019 को हरिद्वार एसडीएम के पद की जिम्मेदारी पीसीएस अधिकारी कुश्म चौहान को दी गई। उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के दृष्टिगत हरिद्वार जिले के एसडीएम पर बहुत जिम्मेदारी होती है। एसडीएम कुश्म चौहान ने एक साल पांच महीने और 15 दिनों तक अपनी इस जिम्मेदारी का पूरी ईमानदारी से निर्वहन किया। हरिद्वार के तमाम वीवीआईपी,वीआईपी भ्रमण कार्यक्रम को सकुशल संपन्न कराया। एसडीएम कार्यालय में फरियादियों की समस्याओं को ध्यान से सुना और यथावत तरीके से निस्तारित किया। अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए दिन—रात छापेमारी की। माफियाओं के मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए छापेमारी के लिए नई—नई योजनाएं बनाकर कार्य किया। तहसील प्रशासन में अधिकारियों के पेंच कसकर रखे। पटवारियों और अमीनों को कई मर्तफा ईमानदारी का पाठ सिखाया और कई बार फटकार लगाई। स्टोन क्रेशर से जुर्माने का बकाया वसूलने के लिए कानून की किताब पढ़कर उनके क्रेशरों के संचालन पर रोक लगाने की तैयारी की। संतों की सभी समस्याओं को निस्तारण किया। उन्होंने अपनी कार्यक्षमता का पूरा उपयोग हरिद्वार की जनता की सेवा करने में लगाया। एसडीएम कुश्म चौहान हरिद्वार के कार्यकाल को अपना सबसे बे​हतरीन अनुभव मानती है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में विभिन्न तरह के कार्य है और हर प्रकार की चुनौतियां है। वीआईपी, खनन, राजस्व और कई प्रकार के कार्य अनुभव है। य​हां कार्य करने के दौरान काफी कुछ सीखने को भी मिला। उन्होंने बताया कि कर्णप्रयाग, ऋषिकेश, डोईवाला जिलों में रही। लेकिन हरिद्वार कार्यकाल को सबसे अच्छा मानती है। हरिद्वार की जनता, जनप्रतिनिधि और मीडिया ने काफी सहयोग दिया। जिनके कारण वह जिम्मेदारी से अपने कर्तव्य को पूरा कर पाई।



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