भाजपा में कई सिटिंग विधायकों की होगी छुट्टी, चुनावी मैदान में कई युवा चेहरे




नवीन चौहान
साल 2022 के विधानसभा चुनाव की वैतरणी को पार करने के लिए भाजपा हाईकमान कई सिटिंग विधायकों को आराम देने का मन बना चुका है। विधायकों की खराब परफारमेंस उनकी राह का रोढ़ा बनेगी। क्षेत्र की जनता की अपने विधायकों से नाराजगी ही टिकट कटने का कारण बनेगी।

हरिद्वार जनपद से लेकर अन्य पहाड़ी जनपदों में कई विधायकों के नामों को लेकर गहमा गहमी शुरू हो चुकी है। युवा चेहरे और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता की रिपोर्ट संघ परिवार ने जुटानी शुरू कर दी है। ​संघ की रिपोर्ट, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की रणनीति और युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सहमति ही नए युवा भाजपा कार्यकर्ताओं को विधायक बनने का मौका प्रदान करेंगी। वैसे भी उत्तराखंड के युवा कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है और बुजुर्ग विधायक अपने कैरियर को लेकर चिंतित नजर आ रहे है।

उत्तराखंड में साल 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है। प्रदेश स्तर से जिला स्तर और बूथ स्तर पर भाजपा की चुनावी बैठके शुरू हो चुकी है। भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र दिए जा रहे है। जनता की समस्याओं का रिपोर्ट कार्ड तैयार हो रहा है। भाजपा सरकार अपने अंतिम कुछ महीने के कार्यकाल में जनता के दिलों को छू लेने वाली घोषणा करने की योजना बना चुकी है।

भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर देहरादून में है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तमाम वरिष्ठ नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों से चुनाव की रणनीति पर चर्चा कर रहे है। इसी रणनीति के तहत की भाजपा के सिटिंग विधायकों की परफारमेंस को लेकर भी फीड बैक जुटाने की बात सामने आई है। हालांकि ​सिटिंग विधायकों के टिकट कटेगा या नही यह तो भाजपा का अंद्धरूनी मामला है।

लेकिन अगर जनता की बात करें तो कई विधायकों से भाजपा का असंतोष जगजाहिर हो चुका है। बीते दिनों झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल की बात करें तो जनता ने उनको खूब खरी खोटी सुनाई थी। जिसके बाद यह प्रकरण सोशल मीडिया पर खूब छाया रहा। बात करते है ग्रामीण विधायक सुरेश राठौर की तो वह क्षेत्र की एक महिला से संगीन धाराओं के मुकदमे में उलझे हुए है। इस मुकदमे में उनकी खूब किरकिरी हो चुकी है। रूड़की विधायक प्रदीप बत्रा की बात करें तो वह अपने बयान को लेकर इस वक्त खूब सुर्खिया बटोर रहे है।

लक्सर विधायक संजय गुप्ता की मजबूत पकड़ की पोल तो खुद क्षेत्र की जनता ही खोलती रहती है। लक्सर विधायक संजय गुप्ता ने ​अपनी ही सरकार को कई बार असहज किया। हालांकि पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से संजय गुप्ता फुल फार्म में नजर आ रहे है। ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद की बात करें तो सरकार के अंतिम वर्ष में सुपर सीएम बनकर उभरे है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मित्र होने के चलते पूरी सरकार ही उनके इशारों पर चल रही है। स्वामी यतीश्वरानंद एक कददावर नेता है। उनका साथ और चुनावी कौशल पुष्कर सिंह धामी का मार्गदर्शन करेगा। जिसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। रानीपुर विधायक आदेश चौहान अपने क्षेत्र में सक्रिय नजर आते है। लेकिन एक वर्ग विशेष की पैरोकारी उनको भारी पड़ सकती है। युवा विधायक आदेश चौहान की क्षेत्र में मजबूत पकड़ उनको टिकट दिलाने में तो सहयोग करेंगी लेकिन जीत दर्ज करने के लिए उनको भी मेहनत करनी होगी।

अब बात करते है नगर विधायक और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की। मदन कौशिक ने भाजपा को 60 प्लस सीट दिलाने का दावा करते हुए हुंकार भरी है। चुनावी प्रबंधन में माहिर और उत्तराखंड की राजनीति में सबसे कददावर मदन कौशिक फिलहाल अपनी ही सीट पर जददोजहद कर रहे है। चार बार से विधायक मदन कौशिक पांचवी बार मैदान में आयेंगे तो कुछ नए अंदाज में दिखेंगे। फिलहाल भाजपा की बात करें तो वह जातीय समीकरणों, संघ परिवार के मार्गदर्शन और भाजपा की मजबूत टीम के भरोसे जनता के विश्वास को जीतने में कितनी सफल हो पायेगी। यह तो आने वाला वक्त बतायेगा।

कोरोना की तीसरी लहर सिर पर है। तीन मुख्यमंत्री बदलने का कीर्तिमान भी भाजपा बना चुकी है। ऐसे में जनता की नाराजगी की यूं तो कई वजह है। लेकिन अब युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अग्निपरीक्षा का वक्त है। ऐसे में पुराने चेहरे लेकर चुनाव में जाना भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है।



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