नवीन चौहान.
मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष बन गए हैं। 24 साल बाद पार्टी की बागडोर अब गैर गांधी परिवार के नेता के पास है। खड़गे ने 1972 से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। जब मल्लिकार्जुन खड़गे सात साल के थे तब उन्होंने अपनी मां और बहन को अपनी आंखों के सामने जिंदा जलते हुए देखा, लेकिन वह कुछ नहीं कर सके।
हैदराबाद के निजाम की निजी सेना ने उनके घर को जला दिया था। खड़गे को पैतृक गांव छोड़ना पड़ा। साथ में उनके पिता थे, वह कर्नाटक के बीदर जिले के वारावट्टी गांव के रहने वाले हैं। खड़गे का जीवन संघर्ष मात्र सात साल की अवस्था से शुरू हो चुका था। 1972 में कर्नाटक के गुरमीतकल विधानसभा चुनाव में उन्होंने पहली जीत दर्ज की थी। यह कलबुर्गी जिले की सुरक्षित सीट है।
2008 तक वह इसी सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे, उसके बाद उन्होंने चिट्टापुर से चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2019 में वह लोकसभा चुनाव हार गए। यह उनकी एकमात्र चुनावी हार रही है। वह आठ बार विधायक और दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने के 50 साल बाद आज वह पार्टी के शिखर तक पहुंचे हैं।