भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी और विविधतापूर्ण शिक्षण व्यवस्था- कुलपति




  • कृषि विश्वविद्यालय में NAAC पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

अनुज सिंह.
मेरठ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सोमवार को नेक (NAAC) जागरूकता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके मित्तल ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी और विविधता पूर्ण शिक्षण व्यवस्था है। निजीकरण के विस्तार, स्वच्छता में बढ़ोतरी और नई उभरती हुई दिशाओं पाठ्यक्रमों की शुरुआत ने उच्चतर शिक्षा की पहुंच का दायरा बढ़ाया है। ठीक उसी अनुपात में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता एवं प्रासंगिकता के प्रति भी चिंतन बढ़ता जा रहा है। इससे जुड़ी चिंताओं से जूझने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति और क्रियात्मक योजना ने अपेक्षित नीतियों एवं योजनाओं को बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र मूल्यांकन संस्था स्थापित की गई है। जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 1994 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साहित्य संस्थान के रूप में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यावेदन परिषद की स्थापना की गई थी।

जिसका मुख्य कार्य विश्वविद्यालय उच्चतर शिक्षा संस्थाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उनका निरीक्षण करना और ग्रीटिंग देना है। कुलपति डॉक्टर आरके मित्तल ने कहा कि विश्वविद्यालय पूरी कोशिश कर रहा है कि जल्दी से जल्दी राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यावेदन पार्षद की कमेटी द्वारा मूल्यांकन हो सके। इसके लिए विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत है और निश्चित ही आगामी कुछ समय में कमेटी विश्वविद्यालय में विजिट करेगी और यहां का मूल्यांकन कर सकेगी इसके लिए सभी तैयारियां पूर्ण की जा रही हैं।

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यावेदन परिषद बंगलुरु से आए हुए डॉ केआर विष्णु महेश एवं डॉ डीके कामले असिस्टेंट एडवाइजर नेक द्वारा सभी पैरामीटर पर अपने विचार रखे। बताया कि अधिक से अधिक ग्रेडिंग लेने के लिए शैक्षिक प्रक्रियाओं में संस्था का प्रदर्शन पाठ्यक्रम चयन एवं कार्य नमन शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन तथा छात्रों के परिणाम संकाय सदस्यों का अनुसंधान कार्य एवं प्रकाशन बुनियादी सुविधाएं तथा संसाधनों की स्थिति संगठन प्रशासन व्यवस्था आर्थिक स्थिति तथा छात्र सेवाओं इत्यादि का डेटाबेस तैयार करके मूल्यांकन हेतु संस्थाओं को जाना चाहिए।

डॉ विष्णु महेश ने बताया नैक के मूल्यांकन से शिक्षा की गुणवत्ता पर विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है। संस्थान में शिक्षण के नए और आधुनिक तकनीकी शामिल होते हैं। इसके माध्यम से समाज को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है। संस्थान को दिशा और पहचान की एक नई भावना प्रदान होती है। योजना और संसाधन आवंटन के अतिरिक्त आंतरिक खेतों की पहचान भी करता है।

इस कार्यशाला का स्वागत अधिष्ठाता पीजी प्रोफ़ेसर शमशेर ने किया एवं धन्यवाद प्रस्ताव निदेशक शोध डॉ अनिल सिरोही द्वारा किया गया। इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि डॉ एनएस राणा, कुलसचिव डॉ डीके सिंह, अधिष्ठाता बायोटेक डॉ रविंद्र कुमार, डॉ विवेक धामा, कमल खिलाड़ी, डॉ सत्य प्रकाश, डॉ आरएस सेंगर, डॉ मुकेश कुमार आदि शामिल हुए। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष तथा कमेटी के सदस्य भी शामिल है।



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