स्वस्थ वातावरण ही है हमारे स्वस्थ जीवन का आधार: प्रो. चौहान




– विश्व पर्यावरण दिवस पर महाविद्यालय में किया गया पौधारोपण
– मानव पर्यावरण का है एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता: डाॅ. बत्रा

नवीन चौहान
हरिद्वार। स्थानीय एस.एम.जे.एन. काॅलेज व हरिद्वार नागरिक मंच के संयुक्त तत्वाधान में महाविद्यालय आज विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को स्वच्छ रखने की शपथ लेते हुए पौधरोपण किया गया। जिसमें आँवला, नीम, औषधीय गुणों से युक्त पौधों को रोपा गया।
इस अवसर पर एक वेबनार भी आयोजित किया गया वेबनार को सम्बोधित करते हुए काॅलेज के पूर्व प्राचार्य एवं की नोट स्पीकर प्रो. पी.एस. चौहान ने विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि मानव जीवन के लिए जल बहुत उपयोगी है, पृथ्वी पर तीन-चौथाई में जल तथा एक-चौथाई में जमीन हैं। समुद्र से हमें पचास प्रतिशत प्राण वायु आक्सीजन की प्राप्ति होती है, इससे हमें समुद्र का महत्व पता चलता है। उन्होंने कहा कि समुद्र जलवायु को चलाता है तथा देश की सफलता के लिए बड़ा आर्थिक आधार है। प्रो. चौहान ने कहा कि जिस प्रकार देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली, आर्थिक राजधानी मुम्बई है उसी प्रकार हिमालय देश की इकलोजिकल राजधानी है।उन्हेांने कहा कि स्वस्थ वातावरण ही हमारे जीवन का आधार है।

काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने वेबनार में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हम प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करें, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इन प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठा सके। मानव पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता है। विकास की उच्चतम उपलब्ध्यिां मनुष्य उसी समय प्राप्त कर पायेगा, जब वह प्राकृतिक सम्पदा का विवेकपूर्ण उपयोग करेगा। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण में 50-70 प्रतिशत तक की कमी आई है। कार्बन उत्सर्जन में कमी, गंगा-यमुना के जल की गुणवत्ता में सुधार, औद्योगिक एवं मानवीय गतिविधियों में कमी के कारण जैव विविधता में बहुत सुधार आया है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि जहाँ सम्पूर्ण विश्व करोना जैसी भंयकर बीमारी से जूझ रहा है वहीं भारत में इस संक्रमण का कम प्रसार का मुख्य कारण ए.क्यू. इंडेक्स में सुधार को जाता है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में आक्रमणकारी प्रजातियों जैसे लेटाना क्रमारा, कैलेप्टोकार्पस वायलिस, हिपिट्स, पार्थेनियम आदि प्रजातियों का फैलाव बहुत तेजी से होने के कारण स्थानिक प्रजातियों के अस्तित्व पर भी गहरा संकट बना है। यह आक्रमणकारी प्रजाति न केवल खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौती है अपितु पशुधन उपज की गुणवत्ता एवं उसकी मात्रा को भी प्रभावित कर रही है। इसकी रोकथाम के लिए जनभागीदारी ही महत्वपूर्ण उपाय है।

प्रसिद्ध समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा ने अपने संदेश में कहा कि हमारी सनातन संस्कृति पंचतत्व से बनी है जिसकी हम पूजा करते हैं। पाहवा ने आह्वान करते हुए कहा कि प्रकृति ने हमें जो सनातन संस्कृति दी है उसे संजो कर रखना हम सभी का दायित्व है। कोरोना जैसी वैश्विक आपदा में गंगा व यमुना नदियां तथा पर्यावरण पूर्ण रूप से स्वच्छ रहें। प्रकृति के दोहन के कारण मानव की समस्या बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति से हम हैं, प्रकृति हमसे नहीं। हमें मानव जाति को बचाना है तो प्रकृति का बचाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए हमें हिमालय को संरक्षित रखना होगा, क्योंकि हिमालय स्वच्छ वायु का भण्डार है।

वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि जैव-विविधता एक श्रृंखला है जिसमें अगर एक भी कड़ी टूटती है तो मानव जीवन संकट में पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर पंच मूलतत्व यानि जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी व आकाश से बना है। अतः इनके असन्तुलन से मानव जीवन पर भारी खतरा पैदा हो सकता है। वरिष्ठ समाजसेवी सतीश जैन ने सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति ने हमें प्रकृति के साथ तालमेल रखना सिखाया है, बढ़ती आबादी और उसकी आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करनी है, जिससे प्राकृतिक आपदा से बचा जा सके। अंत में केरल में हाल ही में हुई हथिनी व उसके गर्भ में पल रहे उसके बच्चे की हत्या पर दुख व्यक्त किया गया कि यह एक पाशविक घटना है तथा मांग की कि जिन्होंने इस कृत्य को अंजाम दिया है उनको कठोरतम सजा मिले। इस घटना ने सम्पूर्ण मानवजाति को शार्मिदा होने पर विवश कर दिया है।

इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. विजय शर्मा, आयोजक सचिव, वैभव बत्रा, सह-आयोजक सचिव, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. पदमावती तनेजा, विनीत सक्सेना, नेहा सिद्दकी, दीपिका आनन्द, रचना राणा सहित काॅलेज के लगभग 67 छात्र-छात्राओं ने वेबनार के सम्बन्ध् में जैव विविधता एवं परिस्थितिक सन्तुलन पर वेबनार में प्रतिभाग किया।



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