नवीन चौहान, हरिद्वार। भगवान शिव की ससुराल कनखल में प्रसिद्व सतीकुंड को अतिक्रमण मुक्त बनाने की कवायद जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है। सतीकुंड के आसपास के क्षेत्रों में अतिक्रमण करने वाले अतिक्रमणकारियों को चिंहित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जल्द ही हरिद्वार रूड़की प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नितिन भदौरिया अतिक्रमणकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करेंगे। अतिक्रमण मुक्त कराने की पूरी कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेशों के बाद की जा रही है।
एचआरडीए के उपाध्यक्ष नितिन भदौरिया ने जानकारी देते हुये बताया कि कनखल निवासी मिथलेश कोठियाल ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका डालकर सतीकुंड को अतिक्रमणमुक्त कराने की गुहार लगाई थी। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सतीकुंड को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी दीपक रावत ने निर्देश दिये कि सतीकुंड का अतिक्रमण चिंहित किया जाये तथा एचआरडीए सतीकुंड का सौंदर्यीकरण करें। डीएम के निर्देशों का पालन करते हुये एचआरडीए की टीम अन्य विभागों की मदद से सतीकुंड के आसपास के इलाकों को चिंहित करने में जुट गई है। इसी के साथ सतीकुंड को भव्य बनाने के लिये उसके सौंदर्यीकरण के लिये योजना तैयार की जा रही है।
ये है सतीकुंड का इतिहास
सतीकुंड 51 शक्ति पीठों का उद्गम स्थल कहा जाता है। यह वही स्थान है, जहां ब्रह्मा के पुत्र राजा दक्ष की पुत्री सती ने अपने पति भगवान शिव का अपमान सुनने के बाद अपने शरीर को योगाग्नि से भस्म कर दिया था। सती के शरीर को भस्म करने के बाद शिव गणों ने यज्ञ विध्वंस किया। भगवान शिव माता सती की पार्थिव देह को लेकर चराचर का भ्रमण करने लगे। जिससे सृष्टि के संचालन में बाधा उत्पन्न होती देख भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े किए। जहां-जहां सती के शरीर के भाग गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। इस कारण सतीकुंड को शक्तिपीठों का उद्गम स्थल कहा जाता है।