पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले देवस्थानम बोर्ड का निर्णय कैबिनेट का फैसला, देंखे वीडियो




नवीन चौहान.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर कहा कि देवस्थानम बोर्ड का फैसला प्रदेश की कैबिनेट था। यह फैसला कैबिनेट ने प्रदेश में बढ़ते तीर्थाटन को देखते हुए भावी प्लानिंग की जरूरत है। आने वाले सालों में देवस्थानम बोर्ड की महत्ता जरूरी है, यही सब सोचकर कैबिनेट ने फैसला लिया। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरकी पैड़ी पर मां गंगा स्नान के बाद न्यूज 127 से एक्सक्लूसिव बातचीत में कही।


वर्तमान सरकार ने नहीं बदला कोई निर्णय
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर वर्तमान सरकार ने कोई निर्णय नहीं बदला है। देवस्थानम बोर्ड का निर्णय कैबिनेट का निर्णय है। सरकार के केवल मुखिया बदले गए हैं। कैबिनेट वही है, उन्होंने कहा कि अभी कोई निर्णय बदला गया है ऐसा मेरी जानकारी में नहीं है।

राज्य की धार्मिक पहचान चार धाम
श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड इस राज्य की जरूरत है। धार्मिक रूप से जिसकी पहचान है वो चारधाम यहां पर है। गंगा जी यहां से निकलती है। यमुना जी का मायका उत्तराखंड है। ऐसे में जब तमाम तीर्थाटन बढ़ रहा है। अन्य पर्यटन बढ़ रहे है। ऐसे में जरूरी है कि भावी प्लानिंग करें। आने वाले 25 और 50 सालों के बारे में सोचे तो देवस्थानम बोर्ड की महत्ता भविष्य के लिए जरूरी है।

व्यवस्थाओं के बारे में सोचना होगा
श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि आर्थिक स्थिति की बात करें तो आर्थिक पक्ष अलग हो सकता है लेकिन सुरक्षा तंत्र, कानून व्यवस्था तीर्थस्थान के प्रति जो आस्था है, उसके बारे में सोचना होगा। जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। इसीलिए तमाम तरह की व्यस्थाओं के बारे में सोचना पड़ेगा। इसी आर्थिकी को ध्यान में रखते हुए देवस्थानम बोर्ड बनाया गया। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में 10 लोग होते है। राय सभी की जुदा—जुदा हो सकती है, फैसले अलग—अलग हो सकते है, अपना—अपना चिंतन और अपनी—अपनी सोच है। विधायक तो विधायक होते है। उनको कैसे बांधा जा सकता है।

मेरा सौभाग्य मां गंगा में डुबकी लगाई
मां गंगा में स्नान करने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पतित पावनी गंगा के बारे में कहा कि मां गंगा में स्नान करने का सौभाग्य मिला। गंगा में डुबकी लगाई। हरिद्वार और मां गंगा के ​प्रति श्रद्धालुओं में विशेष आस्था होती है। श्रद्धालुगण कुंभ का काफी लंबे अरसे तक इंतजार करता है और तमाम तकलीफों का सामना करते हुए हरिद्वार पहुंचते है। मां गंगा में स्नान कर पुण्य का लाभ अर्जित करते हुए अपने पुरखों को मोक्ष प्राप्ति की कामना करते है। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मां गंगा में डुबकी लगाने का अवसर मिला। 2021 का यह कुंभ और कुंभ के जो दृश्य देखने को मिला। उससे मुझे बहुत संतुष्टि है। हमने जो प्रयास किए थे और जो चाहते थे कि कुंभ के दृश्य हो वह आंतरिक और बाहय रूप से संतुष्टि प्रदान करे। बाहर की खूबसूरती में धर्म का संदेशवाहक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इस परिकल्पना के साथ करीब तीस साल तक जो प्रयास किया वह पूर्ण हुआ।

कुंभ साज सज्जा में उद्योग जगत और कंपनियों से लिया गया सहयोग
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जब साल 2017 में सरकार बनाई तो 50 करोड़ का बजट पहले ही इसके लिए प्रावधान किया। ताकि उत्तराखंड की मशीनरी सरकारी तंत्र की समझ में आए जाए कि सरकार कुंभ के प्रति कितना गंभीर है। उस गंभीरता के साथ ही कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर प्रयास किए गए। स्थायी निर्माण के कार्य हो या अस्थायी निर्माण के कार्य हो अथवा कुंभ क्षेत्र की साज सज्जा के कार्य कराने हो। सुरक्षा, व्यवस्था और स्वास्थ्य की दृष्टिगत कैसे सुव्यवस्थित करने के प्रयास तेजी से किए गए। एक दीर्घकालीक सोच के साथ निर्माण कार्यो को मंजूरी दी गई। स्थायी प्रवृत्ति के काफी कार्य कराए गए है। पुलों और घाटों का निर्माण कराए गए। हरिद्वार की साज सज्जा कुंभ बजट से नहीं की गई है। तमाम उद्योग जगत, कं​पनियों से सहयोग लिया गया।

कोरोना के प्रति होना होगा गंभीर
कोरोना बहुत ही डायनमिक है। कुछ महीने पहले कोरोना केस कम थे। सभी को लगने लगा कि कोराना नियंत्ररण में है। जो विशेषज्ञ थे उनको विदित था कि कोरोना का चक्र दोबारा चलेगा। जो कि आज देखने को मिल रहा है। कोरोना का अनुमान पहले से लगाया जा सकता है। अब जो कोरोना है वह नया संक्रमण है। तमाम प्रकार के स्वरूप बदल रहा है। कोरोना को खत्म करने का प्रयास किया जाता है तो यह बहरूपिया बन जा रहा है। ऐसे में कोविड को लेकर कोई पुर्वानुमान सुनि​श्चित कर पाना काफी कठिन है। कोरोना को बहुत अधिक समझने की जरूरत है और आगामी चार पांच साल संभलने की जरूरत है।



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