नवीन चौहान
श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी का कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने वेतन रोकते हुए पूर्व में लिए लाभों की जांच के लिए जांच समिति गठित कर दी है। कुलसचिव पर विवि के शासनादेशों एवं कुलपति के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने, मुख्यालय में स्थाई रूप से उपस्थित न होने, बिना कुलपति के अनुमोदन के मुख्यालय में कार्यभार ग्रहण करने, फिर स्वयं बिना कुलपति की अनुमति के विश्वविद्यालय वाहन सहित मुख्यालय छोड़ने आदि के आरोप हैं।
कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने कुलासचिव के औचित्यपूर्ण स्पष्टीकरण देने और विश्वविद्यालय मुख्यालय में स्थाई रूप से उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु पत्र जारी किया था। लेकिन सुधीर बुडाकोटी ने न विश्वविद्यालय को अपना स्पष्टीकरण दिया और न ही विश्वविद्यालय मुख्यालय में उपस्थित हुए। इसके बाद कुलपति डा पीपी ध्यानी द्वारा कुलसचिव को अनुमन्य वाहन पर प्रतिबन्ध लगाया गया और साथ ही साथ विश्वविद्यालय में कुलसचिव के रूप में किये जाने वाले सभी कार्यकलापों सेे भी उन्हे प्रतिबंधित किया गया। कुलपति डा ध्यानी ने कुलसचिव द्वारा किए गए अमर्यादित कार्यों के बारे में राज्य सरकार और राजभवन को अवगत कराकर, कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी द्वारा किए गए अमर्यादित कार्यों की जांच कराने हेतु और उन्हे तुरंत विश्वविद्यालय से हटाकर नए कुलसचिव की नियुक्ति हेतु अनुरोध किया।
कुलपति के सख्त एक्शन और संस्तुति को संज्ञान में लेकर राजभवन द्वारा राज्य सरकार को इस प्रकरण पर तत्काल कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। राज्य सरकार द्वारा भी तुरंत सुधीर बुडाकोटी पर कडी कार्रवाई की गई और उन्हे शासन द्वारा तत्काल प्रभाव से श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय से कार्यमुक्त कर दिया गया और उत्तराखंड शासन के उच्च शिक्षा विभाग में अग्रिम आदेशों तक सम्बद्ध किया गया।
सुधीर बुडाकोटी पर अब शासन ने और सख्त कार्यवाही करने का मन बना लिया है – ऐसा प्रतीत होता है। शासन ने उन्हे 24 दिसम्बर, 2020 को कुलपति द्वारा पूर्व में उठाए गए 09 बिन्दुओं पर औचित्यपूर्ण स्पष्टीकरण उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए हैं और कुलपति द्वारा विरत किए जाने पर स्वंय 10 दिसम्बर, 2020 को उच्च शिक्षा मंत्री के निजी स्टाप/कार्यालय में योदान, बिना शासकीय अनुमति के, दिए जाने के दृष्टिगत स्पष्टीकरण देने हेतु निर्देशित किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डा पीपी ध्यानी ने भी सुधीर बुडाकोटी पर विश्वविद्यालय के नियमानुसार आगे और भी कार्यवाही करने का मन बना लिया है, उन्होंने कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी के दिसम्बर, 2020 माह के वेतन आहरण पर में रोक लगा दी है और इस संदर्भ में एक जांच समिति भी गठित कर दी है, जो गुुण-दोष के आधार पर अपनी स्पष्ट आख्या/अभिमत विश्वविद्यालय को उपलब्ध करायेगी ताकि सुधीर बुडाकोटी के वेतन आहरण आदि पर विश्वविद्यालय के नियमानुसार फैसला हो सके और शासन को अवगत कराया जा सके।
कुलपति डा ध्यानी की जबदस्त प्रशासनिक क्षमता को उत्तराखण्ड में एक आर्दश उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। डा ध्यानी का स्पष्ट कहना है कि राज्य के विश्वविद्यालयों को अकर्मण्य, बेलगाम, अनुशासनहीन और अमर्यादित अधिकारियों व कर्मचारियों से मुक्त कराना जरूरी है, तब ही राज्य के विश्वविद्यालय उत्कृष्टता की ओर अग्रसर हो पाएंगे