कृषि विश्वविद्यालय में किसान चौपाल, कुलपति बोले वैज्ञानिक तकनीक के इस्तेमाल से कम लागत में अधिक उत्पादन




कुमार अजय
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में परंपरागत कृषि विकास योजना व ई नाम योजना पर किसान चौपाल का आयोजन किया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय के पुराने परिसर में मृदा हेल्थ कार्ड विषय पर किसान चौपाल का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके मित्तल ने किया। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि और कृषि संबंधी एग्री बिजनेस के क्षेत्र में संभावनाएं उत्पन्न हुई हैं। टेक्नोलॉजी संबंधी आविष्कार खाद्य सुरक्षा और आरोग्य को लेकर लोगों के बढ़ते सरोकार और कृषि विपणन के क्षेत्र में नवोन्मेष ने समूची कृषि मूल श्रृंखला में रोजगार का सृजन किया है।

कुलपति डॉ मित्तल ने कहा कि पानी, उर्वरक आदि की उचित मात्रा को ध्यान में रखकर वैज्ञानिक तकनीकों का समावेश करके यदि खेती की जाती है तो उससे कम क्षेत्रफल में कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होंने कहा की कृषि मशीनरी ग्रीनहाउस फार्मिंग उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग माइक्रो इरिगेशन सौर ऊर्जा का उपयोग एवं कृषि विविधीकरण को अपनाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

कुलपति प्रोफेसर मित्तल ने कहा कृषि में काफी तेजी से विकास हो रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में कुशल पेशेवर विशेषज्ञों की सेवाओं की जरूरत है। यही कारण है कि कृषि क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण करने के लिए लगातार छात्रों की रुचि बढ़ती जा रही है।

संयुक्त निदेशक प्रसार डॉ. गोपाल सिंह ने ई नाम योजना के बारे में किसानों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना एक पैन इंडिया इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जो कृषि से संबंधित उद्योगों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करने के लिए मौजूदा एपीएमसी मंडी का एक प्रसार है। अच्छे रेट प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय ई बाजार का उपयोग किसान भाइयों को करना चाहिए।

प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसान जैविक खेती के लिए समूह बनाकर कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना है। जिससे लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे। साथ ही साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाए।

डॉ. पीके सिंह ने मृदा स्वास्थ्य हेल्थ कार्ड के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी और किसानों से आहवान किया कि वह अधिक से अधिक मृदा स्वास्थ्य हेल्थ कार्ड का उपयोग करें जिससे उनकी मृदा की उर्वरा शक्ति बरकरार बनी रहे।

डॉ हरिओम कटियार ने अपने संबोधन में कहा हॉर्टिकल्चर फसलों का अपने कृषि प्रणाली में समावेश करें जिससे कम लागत में वह अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. संजय त्रिपाठी ने सब्जियों के उत्पादन तकनीक के बारे में किसानों को चौपाल में विस्तृत जानकारी दी

इस अवसर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हुए लगभग 70 किसानों ने अपनी भागीदारी दी। इस चौपाल में प्रेमपाल सिंह, प्रधान दुल्हैडा बालकिशोर चौहान‌, नवाब सिंह अहलावत, आजाद सिंह, डॉ चंद्रदेव त्यागी, भरत सिंह, राजाराम, प्रमोद त्यागी, कुलदीप कुमार, मनोज राणा, सत्यदेव, देवेंद्र सिंह, मनोज कुमार, रणवीर सिंह, संजय, योगेंद्र सिंह, राजकुमार, देवेंद्र सिंह, महेश पाल, रविंद्र कुमार, सोनू, गजेंद्र चौधरी, अखिल कुमार, विनेश, पिंकू, हरेंद्र, नरेश पाल, मनोज त्यागी, प्रवीण त्यागी, सूरजपाल चौधरी, कृष्णपाल सिंह, नवाब सिंह चपराना, कन्हैया लाल, नीरज कुमार आदि किसानों ने किसान चौपाल के दौरान चर्चा में भागीदारी दी।

विश्वविद्यालय में किसान चौपाल का आयोजन करने का उद्देश्य किसानों को तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं एवं योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराना था। किसान चौपाल कार्यक्रम में डॉ मुकेश कुमार, डॉ केजी यादव, डॉ हरिओम कटिहार, डॉ पीके सिंह, डॉ संजय त्रिपाठी, वीपी सिंह आदि ने सहयोग प्रदान किया।



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