सभी व्यक्तियों को प्रत्येक दिन अपने आपको रिफ्रेश करने की आवश्यकता: आचार्य बालकृष्ण




नवीन चौहान.
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में रविवार से वैदिक विज्ञान पर आधारित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आयोजन शुरू किया गया। यह कार्यक्रम 02 जुलाई 2022 तक चलेगा। यहाँ पर विभिन्न विषयों पर आचार्यगण विद्धतापूर्ण अपना व्याख्यान देंगे।

वैदिक विज्ञान पुनश्चर्या पाठ्यक्रम कार्यशाला का उद्घाटन आचार्य बालकृष्ण जी महाराज एवं प्रो0 ईश्वर भारद्वाज द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो0 महावीर अग्रवाल ने किया। संकायाध्यक्ष पूज्या साध्वी देवप्रिया ने आचार्य बालकृष्ण का एवं कुलसचिव व उप-कुलसचिव ने प्रो0 ईश्वर भारद्वाज को पुष्पगुच्छ देकर उन्हें सम्मानित किया।

वैदिक विज्ञान पुनश्चर्या कार्यशाला में अपने उद्बोधन में आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि आज प्रत्येक दिन सभी व्यक्तियों को अपने आप को रिफ्रेश करने की आवश्यकता है, तभी उस व्यक्ति का व्यक्तित्व उभरकर सामने आयेगा। वैसे तो प्राचीन काल में योग दर्शन विषय का एक अंग होता था और उसे दर्शन विषय के साथ ही पढ़ाया जाता था मगर आज योग एवं दर्शन अलग-अलग विषय हैं। यह सब इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि समय-समय पर विद्वानों ने इन विषयों को रिफ्रेश करने का कार्य किया।

पतंजलि विश्वविद्यालय वैदिक संस्कृति पर आधारित एक संस्था है इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन कर सभी सहभागी शिक्षकों को नूतन ज्ञान की प्राप्ति का अवसर यहाँ पर प्रदान किया जा रहा है। जब से हम वैदिक ज्ञान अपनी संस्कृति के मूल सिद्धान्तों से दूर हुए हैं तब से मानव विचारों में व व्यवहार में निम्नता आती जा रही है। आज हमारे बीच में जो लोग आत्महत्या करते हैं वह अधिकतर पढे़ लिखे ज्ञानी व्यक्ति ही होते हैं। ऐसा वे अपने संस्कारों, अपनी संस्कृति, अपने वैदिक ज्ञान से दूरी के कारण करता है।

महर्षि दयानन्द जी ने कहा है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए जब विद्यार्थी निकलता है तब तक उसके सामने अनेक पथ होते हैं मगर जो वह विद्यार्थी दृढता से वैदिक ज्ञान के पथ का अनुसरण करता है वह सदैव अपने मंजिल तक पहुँचता है। वैसे तो हमारी संस्कृति कभी भी संचय करने पर विष्वास नहीं रखती, हमारी संस्कृति सदैव ज्ञान को बाँटने पर आधारित है। इसी क्रम में पतंजलि विष्वविद्यालय वैदिक विज्ञान पुनष्चर्या पाठ्यक्रम को आयोजित कर रहा है ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें।

गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रो0 ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि मैं उस आचार्य बालकृष्ण जी को जानता हूँ जिसने हिमालय की ऊँचाईयों पर बैठकर जो संकल्प लिया था, उसे इस धरा पर आकर साकार करके दिखाया है। मैं उनके तप व संघर्ष का साक्षी हूँ। आपने देश के कल्याण के लिए हर संभव कार्य किये। सदैव ब्रहमचर्य का पालन करते हुए आयुर्वेद को नित नये मुकाम तक पहुँचाया। आज हर व्यक्ति आयुर्वेद का महत्व समझने लगा है। यह सब आचार्य जी के परिश्रम का परिणाम ही है।

वैदिक विज्ञान पुनष्चर्या पाठ्यक्रम पर बोलते हुए प्रो0 ईष्वर भारद्वाज जी ने कहा कि जिस प्रकार विज्ञान विशेष ज्ञान पर आधारित है जोकि पूर्ण रूप से प्रयोगात्मक होने के कारण जाना जाता है। उसी प्रकार वैदिक योग भी प्रयोग पर आधारित विज्ञान है। अनुलोम-विलोम करने के परिणाम स्वरूप कुछ व्याधियां शरीर से दूर होती हैं, साथ ही योग में बताए गए विभिन्न आसनों के परिणामस्वरूप शरीर स्वस्थ व निरोगी हो जाता है।

द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि डाॅ0 महावीर अग्रवाल ने कहा कि इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में आए सभी सहभागी अध्यापकगण अपने आचार्यगणों को ध्यान से सुनें एवं उनके ज्ञान से खुद को अंलकृत करें ताकि अपनी शिक्षण-शैली में गुणवत्ता लाने का कार्य किया जा सकेें। इन्हीं सभी चीजों को ध्यान में रखकर इस प्रकार के पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस आयोजन में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये अध्यापकगण व पतंजलि विश्वविद्यालय के अध्यापकगणों ने इसमें हिस्सेदारी ली। इस अवसर पर कुलानुशासिका साध्वी देवप्रिया, कुलसचिव डाॅ. प्रवीण पुनिया, उपकलसचिव डाॅ0 निर्विकार, संकायाध्यक्ष प्रो0 वी.के. कटियार सहित सभी अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *