नवीन चौहान.
पारिवारिक रिश्तो की जीवन में अहम भूमिका होती है, साथ ही परिवारों में कभी-कभी मनमुटाव होना भी स्वाभाविक है। बूढ़े बुजुर्ग कहते हैं कि जहां चार बर्तन होते हैं वहां बर्तनों के टकराने की आवाज भी आती है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम रिश्तों को बिखेर दे।
बदलते जमाने के साथ रिश्तों को एक बड़े बदलाव का सामना करना पड़ रहा है। लगाव के फेवीकोल की पकड़ पहले से ढ़ीली पड़ी है। इसी वजह से परिवार अपने बीच उभरे मतभेदों को अत्यधिक गंभीरतापूर्वक लेकर बिना कोई समझौता किए रिश्ते को तोड़ने का निर्णय ले रहे हैं। बिना ये सोचे कि कढ़ाई के बगैर करछी की कीमत क्या, थाली से दूर हो कटोरी की अहमियत क्या।
इन आपसी संबंध के महत्व और जरूरत को समझते हुए हरिद्वार पुलिस की पहल पर निरंतर धरातल पर काम कर परिवारों को टूटने और बिखरने से बचाने के लिए कार्यरत महिला ऐच्छिक ब्यूरो निरंतर बैठक आयोजित कर अपने लक्ष्य को मूर्त रूप देने का प्रयास कर रही है।
इन्ही प्रयासों के अन्तर्गत 26 अक्टूबर को पुलिस लाइन रोशनाबाद में महिला ऐच्छिक ब्यूरो की बैठक आयोजित की गई। बैठक में ऐच्छिक ब्यूरो की अध्यक्षा लता रावत, उपाध्यक्ष/एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, नोडल अधिकारी महिला हेल्प लाइन डॉ0 विशाखा अशोक भदाणे, मनोचिकित्सक डॉ अरुण कुमार, अधिवक्ता संगीता भारद्वाज, समाज सेविका मधु भदौरिया, महिला हेल्पलाइन प्रभारी SI अनीता शर्मा द्वारा प्रतिभाग किया गया।
बैठक में चुने गए जटिल पारिवारिक प्रकरणों में से 03 प्रकरणों में ऐच्छिक ब्यूरो के सदस्यों के समझाने पर दोनों पक्षों द्वारा आपसी सहमति से एक साथ रहने की स्वीकारोक्ति दी गयी। दो प्रकरणों में सम्बन्धित को भविष्य को ध्यान मे रख कर सोच समझकर निर्णय लेने के लिए समय दिया गया।
ऐच्छिक ब्यूरो के समक्ष काउंसलिंग हेतु गंभीर एवं जटिल पारिवारिक प्रकरणों को रखा जाता है। जिसमें दोनों पक्षों को साथ रहकर जीवन निर्वाह करने हेतु समझाकर अच्छे रिश्ते बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि भविष्य में दोनों पक्षों के मध्य मनमुटाव ना हो व दोनों का भविष्य उज्जवल बने।
निस्संदेह किसी परिवार को टूटने से बचाना असीम आनंद देता है। सौभाग्यवश महिला ऐच्छिक ब्यूरो को टूटने की कगार पर खड़े कई परिवारों को बचाने का यह मौका बार-बार मिलता है।