डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर पहुंचे भारत के सौर पुरुष डॉ चेतन




नवीन चौहान.
सौर ऊर्जा एक ऐसी ऊर्जा है, जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जा सकती है। प्रकृति के संसाधनों से प्राप्त सौर ऊर्जा असीमित है। सौर ऊर्जा छत पर लगे सोलर पैनल से प्राप्त ऊर्जा है, जिसे आज भारत के गाँव से लेकर शहर तक बढ़ी तेजी से अपनाया जा रहा है। सौर ऊर्जा पर्यावरण के अति अनुकूल है। पूरी तरह से सूर्य की रोशनी पर आधारित होने के कारण इससे कोई प्रदूषण भी नहीं होता और बिजली के बिल से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

भारत के सौर पुरूष डॉ. चेतन सिंह सोलंकी का सपना है…. सूरज की रोशनी से स्वराज लाना। आईआईटी मुम्बई के प्रोफेसर डॉ. चेतन सिंह सोलंकी 11 साल के लिए अपना घर बार छोड़कर इस जन-आंदोलन के लिए निकले हैं। आपने देश भर में एक जन-आंदोलन छेड़ा है, उसका नाम है-एनर्जी स्वराज एवम् एनर्जी साक्षरता। इस आंदोलन के जरिए प्रोफेसर जलवायु परिवर्तन के खतरों से जन मानस को सावधान करने का प्रयास कर रहे हैं। वह लोगों को जलवायु की वास्तविक स्थिति से अवगत करवाना चाहते हैं। प्रोफेसर सोलंकी सोलर वैज्ञानिक हैं। 20 वर्षों से वह इस पर खोज कर रहे हैं।

प्रोफेसर सोलंकी की यह ऊर्जा स्वराज यात्रा 26 नवम्बर 2020 से शुरू होकर दिसम्बर 2030 तक चलेगी, यानि पूरे 11 वर्ष। अभी इस यात्रा को दो साल पूरे होने को हैं। सोलर मैन डॉ0 चेतन सिंह सोलंकी अपनी यह यात्रा एक विशेष बस में कर रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान वह अपनी एनर्जी स्वराज बस के साथ 27 सितंबर को हरिद्वार पहुँचे। 27 सितम्बर 2022 को प्रातः 9ः00 बजे डीएवी प्रांगण में एनर्जी स्वराज यात्रा के तहत डीएवी विद्यालय में जहां पर हरिद्वार के अन्य विद्यालयों, शांति मेमोरियल पब्लिक स्कूल, अचीवर्स होम पब्लिक स्कूल, डीपीएस दौलतपुर के विद्यार्थियों के साथ डीएवी हरिद्वार के विद्यार्थियों ने स्वराज यात्रा बस का अवलोकन किया तथा प्रोफेसर सोलंकी से बातचीत भी की।

एनर्जी स्वराज की सौर ऊर्जा से चलने वाली बस को देखने के लिए विद्यार्थियों में बहुत उत्सुकता थी। इस बस में एसी, कूलर, पंखा, लाइट, टीवी, फ्रिज़, कम्प्यूटर, लाइब्रेरी, मंदिर, चार्जिंग प्वांइंट, पोर्टेबल बैड, छोटा सा बगीचा या यूँ कहें कि घर की जरूरत का सारा सामान मौजूद है। यह चलता-फिरता एक घर ही है, जो संचालित होता है सौर ऊर्जा से। इस बस के दरवाज़े पर एक नक्शा भी लगा हुआ था, जिसमें प्रोफेसर सोलंकी अपनी यात्रा के स्थानों का विवरण भी अंकित करते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा जीवन की रक्षा का संदेश देती यह बस विद्यार्थियों के लिए सौर ऊर्जा का अधिकाधिक प्रयोग करने का आह्वान करती है। यह विद्यार्थियों के लिए एक नया व अनूठा अनुभव रहा।

विद्यालय के सभागार में कार्यवाहक प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल द्वारा अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। डीएवी गान से सम्पूर्ण वातावरण गुंजायमान हो उठा। मनोज कुमार कपिल के द्वारा अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया। विद्यालय की वरिष्ठ अध्यापिका सोनिया त्यागी ने कार्यक्रम की रूपरेखा से उपस्थितजन को परिचित करवाया।

सोलर मैन डॉ0 चेतन सिंह सोलंकी की विद्यालय में उपस्थिति सभी के लिए प्रेरक और उत्सुकता भरी थी। उन्हांेने अपने वक्तव्य में मुस्कुराने का महत्व बताते हुए हमेशा मुस्कुराने का संदेश दिया। डीएवी की परम्परा दीप प्रज्ज्वलन और डीएवी गान की सराहना की। जीवन में बढ़ते तनाव भी एक तरह का प्रदूषण है, जिसे प्रसन्नता से दूर किया जा सकता है। उन्होने बताया कि सन् 1850 से कार्बन एनर्जी का प्रयोग बढ़ते-बढ़ते आज चरम सीमा पर पहुँच गया है। जिसका दुष्परिणाम हम सभी के समक्ष है। उन्होंने श्रीमद् भगवद्गीता के श्लोक -यदा-यदा हि धर्मस्य…….. से आज को जोड़ते हुए बताया कि आज असत्य और अधर्म का रूप है कोयला, तेल यानि प्रदूषण तो वहीं दूसरी ओर सत्य और धर्म है- स्वच्छ, ब्रह्माण्ड की ऊर्जा यानि सौर ऊर्जा।

पंचतंत्र की कहानी का उल्लेख करते हुए बताया कि जैसे पेड़ की शाखा पर बैठकर उसी को काटने वाला मूर्ख था, उसी प्रकार प्रकृति में रहते हुए, प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने वाला मनुष्य ही है। इसकी जिम्मेदारी उसे यानि हर किसी को व्यक्तिगत रूप में लेनी होगी। प्राकृतिक संसाधनों का विनाश की ओर ले जाने वाले ‘हम’ नहीं ‘मैं’ हूँ, यह मानकर इसके सुधार के लिए सोचना होगा। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संतुलन आवश्यक है, यह संतुलन हमें विद्यार्थियों को भी सिखाना जरूरी है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में दिखाई दे रहा है। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होने कहा कि प्रत्येक अभिभावक को अपने बच्चे को यदि सच्चा प्रेम देना है, तो उन्हें शुद्ध हवा, साफ मिट्टी, स्वच्छ पानी और पोषक भोजन देना होगा। सरकार, योजना का इंतजार न करें, बल्कि इस समस्या के समाधान के लिए ऊर्जा का सही प्रयोग करें, अपनी आवश्यकताओं को सीमित करें, सोलर लैम्प का प्रयोग करें।

डॉ. मयूरी दत्त, नेशनल कोओर्डिनेटर विद्यार्थी विज्ञान मंथन की ओर से एक अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम द्वारा उपस्थितजन को जागरूक किया गया। डॉ0 मयूरी ने विज्ञान क्षेत्र में ग्यारह विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं, जो कि गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हैं। उन्होंने विद्यार्थी विज्ञान मंथन (वीवीएम )कार्यक्रम को विश्व स्तर पर स्थापित करने का आह्वान किया। अधिकाधिक छात्र-छात्राओं के प्रतिभाग को प्रोत्साहित करने तथा उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए प्रयासरत रहने के लिए कहा। उन्होने बताया कि आगामी नवम्बर माह से वीवीएम मॉक टेस्ट करवाने की व्यवस्था के लिए प्रयासरत है। उन्होने जीवन में सदा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम के तीसरे वक्ता डॉ0 तनुज भाटिया, जो कि महंत इंदरेश अस्पताल, देहरादून में हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, ने अध्यापकों को पॉवर प्वांइंट प्रस्तुति के द्वारा समझाया कि आज के मशीनी युग में युवा लोगों में हृदय सम्बन्ध समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होनें अपनी टीम के साथ एक जीवंत प्रस्तुति भी दी, जिसके द्वारा हृदय गति रूकने पर किस प्रकार का प्राथमिक उपचार देना चाहिए, उसके बारे में विस्तार से बताया। सीपीआर (हृत्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन) के द्वारा मरीज की जान किस प्रकार से बचाई जा सकती है, और उसे एंबुलेंस आने तक क्या और कैसा प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिए, उस बारे में बताया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ0 चेतन सिंह सोलंकी, डॉ0 मयूरी दत्त ने विद्यालय के शिक्षक प्रभारी मनोज कुमार कपिल, पर्यवेक्षी प्रमुख कुसुम बाला त्यागी और हेमलता पाण्डेय, सोनिया त्यागी को आज के कार्यक्रमों के आयोजन में उनके अमूल्य योगदान के लिए सराहना की। सोनिया त्यागी द्वारा अति कुशलता पूर्वक मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। सभी आंगतुकों ने एक सुनियोजित एवं निर्बाधरूप से आयोजित कार्यक्रम की सराहना की। नवदीप कौर छाबड़ा ने सभी का धन्यवाद किया। उन्होंने गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लोकेश जोशी जो कि वीवीएम के राज्य कोऑर्डिनेटर हैं, को इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग देने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने उपस्थित अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए सभी को एनर्जी स्वराज आंदोलन से जुड़ने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का समापन शान्ति पाठ द्वारा हुआ।



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