दिव्यांग मूक बधिरों को स्मार्टफोन न देने पर भड़के, नहीं मिले तो करेंगे आंदोलन




जोगेंद्र मावी
दिव्यांग मूक बधिरों को बात करने के लिए एलिम्को ने स्मार्टफोन देने से हाथ खड़े कर दिए। इसी के साथ कैंप में आए डाॅक्टर के जल्द चले जाने पर दिव्यांग भड़क उठे। उन्होंने कैंप के बाहर प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगे पूरी करने की मांग उठाई। इस दौरान मूक बधिरो ने कैंप मे पहुंचकर यूडीआईडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया।
शुक्रवार को देवभूमि बधिर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप अरोड़ा के वीडियो कॉल से मिली सूचना पर जिले के हरिद्वार, रूड़की, लक्सर सहित कई स्थानों से मूक बधिरों ने हरिद्वार टाउन हॉल पहुंचकर यूडीआईडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया। शुक्रवार को दूसरे दिन गैल इंडिया लिमिटेड कम्पनी की ओर से आयोजित दिव्यांग कैंप में पहुंचे मूक बधिरो से एलिम्को के अधिकारियो ने कान की मशीन लेने को कहा। वहां उपस्थित एक को छोड़कर डेढ़ दर्जन मूक बधिरो ने कान की मशीन लेने से इंकार कर दिया। एलिम्को के अधिकारी शशांक से जिले से आए मूक बधिर चेतन सैनी, अमर त्यागी, साजिया, पंकज गर्ग, अवि सैनी, विशु अनेजा, साजिद हसन, अतुल राठौर, विवेक केशवानी, विधांशु खुल्लर, ओम बंसल, देव शर्मा, सतीश गुप्ता, सरदार मोंटू आदि ने स्मार्टफोन देने की मांग रखी। इन सभी ने अधिकारी शशांक से कहा कि हम लोगों को वीडियो कॉल से साईन लैंग्वेज मंे बात करने के लिए स्मार्टफोन की आवश्यकता है। कान की मशीन कब तक देते रहांेगे, वह किसी काम के नहीं है। अधिकारी शशांक ने कहा कि वह मूक बधिरांे की इस परेशानी को समझ रहे हैं और यह बात उन्होने कम्पनी के उच्चाधिकारियों के समक्ष रखी लेकिन उच्चाधिकारियों ने स्मार्टफोन देने से इंकार कर दिया। उन्हांेने कहा कि नियमानुसार कम्पनी स्मार्टफोन उन नेत्रहीन व्यक्ति को देती है जो 100 प्रतिशत दिव्यांगता से ग्रस्त है। इस पर संदीप अरोड़ा ने अधिकारी से कहा कि जब वो 100 प्रतिशत यानि पूर्ण रूप से देख नहीं सकते तो उन्हंे स्मार्टफोन दिया जा रहा है जबकि मूक बधिर देखकर वीडियो कॉल मे वार्ता करते हैं उन्हे क्यो नहीं। इसका अधिकारियो के पास कोई जवाब नहीं है। कैंप मे जिलास्तरीय दिव्यांगता समिति के सदस्य अमित धीमान, तरूण,मोहम्मद तौकीर, राकेश कुमार के साथ कई दिव्यांगो के प्रमाण पत्र, पेंशन, वैशाखी, छड़ी के फार्म भी भरवाए गए।

शिविर में पंजीकरण के लिए इंतजार करते हुए दिव्यांग

डाक्टर एक बजे निकल गए’
सरकारी डाक्टर एक बजे के बाद कैंप से नदारद रहे जबकि कैंप मे का समय बैनर मे 4 बजे तक का लिखा गयी। कई दिव्यांग अपनी जांच के लिए बैठे थे, वह सुविधा का लाभ लेने से वंचित रह गए।



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