संतों को खुश करने के लिए सरकार का फैसला जनता पर पड़ रहा भारी, अब फैलने लगी है कोरोना महामारी




नवीन चौहान.
कोरोना संक्रमण के बीच शुरू हुए हरिद्वार कुंभ में संतों को खुश करने के लिए सरकार ने जो फैसला लिया वह अब जनता पर भारी पड़ता दिख रहा है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कुंभ में आने के ​लिए सभी को न्योता दिया था और कहा था कि कोरोना जांच की आवश्यकता नहीं है, कुंभ में सभी आ सकते हैं। मुख्यमंत्री के इस फैसले का विरोध भी हुआ जिसके बाद हाईकोर्ट में एक याचिका भी डाली गई जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार से कुंभ आने वालों की कोरोना जांच को जरूरी बताया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद तीरथ सरकार बैकफुट पर आयी और कुंभ आने वालों का न केवल कोरोना जांच को जरूरी बताया वहीं पोर्टल पर भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की। लेकिन जब तक सरकार ने यह कदम उठाया तब तक देर हो चुकी थी। तब तक कोरोना ने हरिद्वार में अपने पैर पसारने शुरू कर दिये थे। जिसका भयावह रूप अब देखने को मिल रहा है। कुंभ में फैले कोरोना की चपेट में दो महामंडलेश्वर आकर अपनी जान गवां चुके हैं। अखाड़ों के साधु संत भी कोरोना की चपेट में हैं। शनिवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखाड़ों के महामंडलेश्वर और अन्य पदाधिकारियों से फोन पर वार्ता की ओर कोरोना महामारी के प्रसार को देखते हुए आगे का कुंभ प्रतीकात्मक करने की संतों से अपील की। प्रधानमंत्री की अपील के बाद जूना अखाड़ा ने भी शनिवार को ही कुंभ समापन की घोषणा कर दी। इससे पहले निरजंनी अखाड़ा कुंभ समापन की घोषणा कर चुका था। हालां​कि कुछ साधु संत अभी भी कुंभ को तय समय तक ही चलाने की बात कर रहे हैं।
हरिद्वार में कोरोना के बिगड़ते हालातों की वजह से ही शनिवार शाम 9 बजे से सोमवार सुबह 5 बजे तक पूरी तरह बंद कर दिया गया है। पहले प्रदेश में चल रहे नाइट कर्फ्यु से हरिद्वार कुंभ क्षेत्र को अलग रखा गया था। लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यहां भी नाइट कर्फ्यु लागू कर दिया गया है। अब कुंभ के बीच में ही समापन की घोषणा से व्यापारी वर्ग नाराज है, उनका कहना है कि कोरोना ने पहले ही उनके व्यापार चौपट कर रखे हैं, कुंभ से जो आस थी वह भी उसके समापन की घोषणा से टूट चुकी है। कुंभ में बिक्री की उम्मीद में जो सामान व्यापारियों ने अपनी दुकानों में भरा था वह रखा ही रह गया। व्यापारियों की चिंता जायज भी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रित्रेंद्र सिंह रावत ने अपनी दूरगामी सोच को ध्यान में रखकर ही इस बार कुंभ को सीमित अवधि ओर प्रतीकात्मक रूप से संपन्न कराने की बात कही थी। शायद उन्हें पता था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर फैल गई तो उसे कंट्रोल करना मुश्किल होगा। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वंय संतों से फोन पर बात कर कुंभ को आगे प्रतीकात्मक करने की अपील की तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दूरगामी सोच एक बार फिर प्रबल दिखायी दी।
सवाल यही है कि जब सब जानते थे कि कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है उसका प्रसार हुआ तो परिणाम भंयकर हो सकते हैं फिर ऐसे में क्यों वर्तमान सरकार ने कुंभ में भीड़ को न्यौता दिया। इस समय हरिद्वार की जनता भी परेशान है उनकी परेशानी का कारण लगातार बढ़ रहा कोरोना संक्रमण है, यह कोरोना संक्रमण अब जनता पर भारी पड़ रहा है।



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