कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग की खुली आंखों के सामने करोड़ों का भ्रष्टाचार, डीएम करा रहे जांच




नवीन चौहान
कुंभ पर्व 2021 में मेला स्वास्थ्य विभाग की खुली आंखों के सामने करोड़ों का भ्रष्टाचार हो गया। कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही अथवा मिलीभगत के चलते आरटीपीसीआर जांच में बड़ा फर्जीबाड़ा हो गया। कोविड जांच के संबंध में जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच बैठा दी है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवाल 15 दिनों में जांच पूरी करके अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। प्रथमदृष्टया कोविड जांच में फर्जीबाड़े की पुष्टि प्रतीत हो रही है। वही कोविड जांच के लिए लैब को टेंडर देने की प्रक्रिया भी सवालों के घेर में आ गई है। मैक्स कॉरपोरेट कंपनी की खुद की लैब ही नही थी तो किस आधार पर मेला स्वास्थ्य विभाग ने कंपनी को कोविड जांच करने का कार्य सौंप दिया। हालांकि फिलहाल जांच प्रचलित है। जिसके बाद कंपनी और कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग की कारगुजारियों से परदा उठेगा।
कोरोना संक्रमण काल में कुंभ पर्व 2021 के आयोजन में मेला स्वास्थ्य विभाग का कार्य कर रहा था। कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग को ही कोविड केयर सेंटर चलाना और एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच कराने के सबसे महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करना था। लेकिन कुंभ के शुरूआती दौर से ही कुंभ मेले का स्वास्थ्य विभाग बीमार नजर आया। कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग ने ठीक तरीेके से काम नही किया। कुंभ मेले के स्वास्थ्य प्रशासन की कार्य प्रणाली में लापरवाही दिखाई देने लगी। जिसके बाद मेला स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कुंभ मेले के हेल्थ डिपार्टमेंट के कार्यो के देखरेख करने के कायों की जिम्मेदारी भी जिला प्रशासन को सुपुर्द करने के आदेश जारी कर दिए।
जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कोविड जांच के लिए लैब का इनपैनलमेंट करने के लिए एक कमेटी गठित कर दी। कमेटी के माध्यम से ही लैब को जिम्मेदारी दी गई। लैब को कोविड जांच करने से पूर्व मानकों की कसौटी पर परखा गया। लैब आईसीएमआर के माध्यम से अधिकृत है या नही। कोविड जांच वाली कंपनी की निजी लैब है या नही। उसके बाद कमेटी की सिफारिश के बाद जिलाधिकारी सी रविशंकर ने लैब को इनपैनलमेंट करने की मंजूरी दी। जिला प्रशासन की ओर से करीब 14 लैब को पैनल में शामिल किया।
वही दूसरी ओर कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग की ओर से 10 कंपनियों को कोविड जांच के लिए अधिकृत किया गया।
जिस लैब पर फर्जीबाड़े पर फर्जीबाड़े के आरोप लगे है, उस लैब को कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग ने अधिकृत किया था। दिल्ली की कंपनी मैक्स कॉरपोरेट ने हरिद्वार कुंभ में कोविड की जांच में कीर्तिमान स्थापित करके करोड़ों का बिल कुंभ मेला प्रशासन के सिर पर चढ़ा दिया। लेकिन गनीमत रही कि इन बिलों का भुगतान होना संभव नही हो पाया। उससे पहले की कंपनी की कारगुजारियों से परदा उठ गया।
कोविड में फर्जीबाड़ा करने वाली
मैक्स कॉरपोरेट ने 118239 एंटीजन टेस्ट किए। जबकि 5782 आरटीपीसीआर जांच की। एंटीजन टेस्ट की कुल कीमत 354 रूपये और आरटीपीसीआर जांच के लिए 500 रूपये की दरें निर्धारित की गई थी।
कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग का अनुबंध
रेपिट एन्टीजन टेस्ट/ आरटीपीसीआर की टेस्टिंग कराये जाने का अनुबंध में एंटीजन टेस्ट के लिए 354 रूपये और आरटीपीसीआर टेस्टिंग दर 500 रूपये निर्धारित की गई थी।
कुम्भ मेले के स्वास्थ्य विभाग के प्राइवेट कंपनियो का विवरण निम्नवत हैं।
इन कंपनियों के एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच का विवरण निम्नवत है। फिलहाल तो सभी कंपनियों की जांच संदेह के घेरे में है।
1-star imaging(antizen test-1933,RTPCR-0)
2-core dignostics(antizen test -1561, RTPCR-0)
3-hindustan wellpnes(antizen test-703, RTPCR-55)
4-DNA labs(antizen test-19804, RTPCR-2894)
5-Novas labs(antizen test-51459, RTPCR-11808)
6-Max corporate(citizen test-118239, RTPCR-5782)
7-ficci Reserch(antizen test-1426, RTPCR-5086)
8-Ahujas path(antizen test-1143, RTPCR-17957)
9-prefered path(antizen test-4260, RTPCR-696)
10-फोकस imaging(antizen test-6651,RTPCR-0)

बताते चले कि जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कुंभ पर्व में कोविड जांच कर रहे सेंटरों पर लगातार निरीक्षण किया। सेंटर पर कार्यरत तमाम कर्मचारियों को निर्देशित किया। कुंभ मेले में कोविड जांच कर रही कंपनियों पर सख्ती बरती की गई। उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से अनुबंध की गई तमाम कंपनियों को पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य देने के बाद बिलों में 30 फीसदी तक का भुगतान भी किया। उसके बाबजूद सभी कंपनियों की जांच भी करा रहे है। वही दूसरी ओर मेला प्रशासन के स्वास्थ्य विभाग की ओर से अनुबंध की गई कंपनियों पर गाज गिरना तय है। और एक बड़े भ्रष्टाचार से परदा उठने की संभावना भी प्रबल हो गई है।
बड़ा सवाल
कुंभ मेले के स्वास्थ्य विभाग ने लैब नही होने के बाबजूद आरटीपीसीआर की जांच करने की जिम्मेदारी कंपनी को क्यो दी। टेस्ट होने वाले फोन नंबरों की जांच क्यो नही की गई। फिलहाल कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है।



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