कोरोना संक्रमण नही खतरनाक, संक्रमित होते ही सबसे पहले करें यह काम





नवीन चौहान

कोरोना संक्रमण कोई खतरनाक नही है। संक्रमण शरीर में फैलने के बाद ही प्रभावशाली होता है। जिसके बाद ही हार्ट और फेफड़ों को प्रभावित करता है। शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। अगर किसी को कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई देते है तो वह तत्काल अपनी आरटीपीसीआर जांच कराए। संक्रमण की पुष्टि होने के बाद चिकित्सक की सलाह से दवाईयों का सेवन करें। अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत रखे। घबराए बिलकुल नही। कोरोना संक्रमण को मात देने वाले लोगों की संख्या 98 फीसदी है। जबकि मरने वालों की संख्या महज 2 फीसदी हैं। ऐसे में कोरोना तो बिलकुल भी खतरनाक नही है।
न्यूज127 की टीम ने कोरोना अस्पतालों का भ्रमण किया। कोरोना पॉजीटिव मरीजों का हाल जाना और उनकी मनोदशा को समझने का प्रयास किया। अस्पताल में मरीजों से मिलने के बाद उनकी मानसिक स्थिति को समझा तो पाया कि अधिकतम मरीज अपने जीवन को लेकर बहुत ही घबराए हुए। कोरोना से मरने वालों की खबर सुनकर वह दहशतजदा है। संक्रमित मरीजों को लगता है कि उनका जीवन बच पाना संभव नही है। तमाम मरीजों से बातचीत के बाद यह पाया गया कि कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में एक डर का भाव दिल में समा गया है।
न्यूज127 ने मरीजों के पास जाकर उनका मनोबन बढ़ाया। उनके जीवन के लक्ष्य के बारे में जानकारी की। परिवार की स्थिति और उनके भविष्य को लेकर सपनों की जानकारी जुटाई तो पाया कि सभी की जीवन जीने की इच्छा है। जब मरीजों को बताया गया कि आप बिलकुल स्वस्थ है। आपकी जीने की दृढ़ इच्छा शक्ति ही आपको जल्दी स्वस्थ्य करेंगी। उनके परिवार जनों को भी बताया ​गया कि मरीज को नकारात्मक खबरों से दूर रहे। मरने वालों के आंकड़ों पर गौर ना करें। मरीजों को बताया ​गया कोरोना से उन लोगों की मृत्यु हुई है, जिन्होंने अपने संक्रमण को चिकित्सकों से छिपाने का प्रयास किया। अथवा उनकी इच्छा शक्ति कमजोर प्रतीत हुई। न्यूज127 की मुहिम रंग लाई। कोरोना संक्रमित मरीजों को पॉजीटिव एनर्जी देने वाले करीब आधा दर्जन मरीज स्वस्थ होकर अपने घर पहुंचे।
कोरोना संक्रमित मरीजों ने माना कि मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मौजूद है। नकारात्मक सोच मानसिक रूप से कमजोर बनाती है। जबहिक सकारात्मक सोच जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। अस्पताल के बेड पर मरीज छत देखने के साथ ही नकारात्मक विचारों की दुनिया में खो जाता है। जोकि बहुत ही खतरनाक है। जिस प्रकार इंसान सांप के जहर से कम और दहशत से ज्यादा खौफ खाता है। कुछ इसी प्रकार कोरोना संक्रमण के नाम से ही इंसान खौफ खाने लगा है।
यदि आपके आसपास या परिवार में कोरोना संक्रमित मरीज है। तो सबसे पहले उनकी जांच कराए और चिकित्सक की सलाह पर दवाईयां दिलवाए। इसके अलावा मरीज का उत्साह बढ़ाए। उनको हंसाने का प्रयास करें। उनकी काबलियत और क्षमता को पुर्नजीवित करें।
हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर की बात करें तो 23 मार्च 2020 से लेकर वर्तमान हालातों तक उन्होंने प्रत्येक दिन कोरोना संक्रमण से मुकाबला किया। हरिद्वार के एक—एक नागरिक के जीवन की रक्षा करने के जतन किए। सार्थक योजनाएं बनाई। हरिद्वार को अपना परिवार माना और कारगर कदम उठाए। कोविड अस्पताल, आक्सीजन की व्यवस्था बनाई। तमाम आलोचनाओं के बाबजूद सकारात्मक प्रयास जारी रखे। जिसका नतीजा यह है कि हरिद्वार में हालात सामान्य है। किसी प्रकार की कोई अफरा तफरी नही है। मरीजों को इलाज मिल पा रहा है। आक्सीजन और तमाम अन्य सुविधाओं की व्यवस्था बनाई गई है। जिलाधिकारी सी रविशंकर की दूरदर्शी सोच, सकारात्मक प्रयास और मां गंगा के आशीर्वाद से हरिद्वार की जनता वैश्विक महामारी के बीच में सुरक्षित है।

हरिद्वार की जानी मानी आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ पूनम गंभीर ने बताया कि अधिकतम कोरोना संक्रमित मरीजों में दहशत है। मरीज घबरा रहे है। उनको लगता है कि अब नही बचेंगे। लेकिन ऐसा बिलकुल नही है। कोरोना मरीज बिलकुल ठीक हो रहे है। सकारात्मक सोच और चिकित्सक पर विश्वास ही मरीज के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करता है। बताते चले कि डॉ पूनम गंभीर ने सैंकड़ों कोरोना मरीजों को अपने आयुर्वेदिक दवाईयों से बिलकुल स्वस्थ्य किया है। डॉ पूनम मानवता की सेवा में समर्पित है। वह खुद अपने हाथों से काढ़ा बनाकर मरीजों को दे रही है। मरीजों का मनोबल बढ़ा रही है। इसी के चलते वैदिक काया आयुर्वेदिक पंचकर्म सेंटर मेें मरीज स्वस्थ होकर अपने घरों को जा रहे है।



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