नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण ने दुनिया की तस्वीर बदल दी। इंसान के जीवन की शैली बदल गई। सोचने का नजरिया बदल गया। इंसान को भयावय रूप दिखा दिया है। कोरोना संक्रमित मरीजों के शव को दाह संस्कार के लिए समाजसेवियों की जरूरत पड़ रही है। जिला प्रशासन की टीम कोरोना संक्रमण से जनता को सुरक्षित बचाने, टीकाकरण करने, संक्रमित मरीजों का इलाज करने से लेकर मृतकों के शवों का दाह संस्कार करने के लिए जूझ रही है। ऐसे ही दिल को झकझोर देने वाली दर्दनाक हकीकत से रिटायर्ड भेलकर्मी का परिवार गुजर रहा है। बुजुर्ग पत्नी अपने पति की कोरोना से मौत के बाद मदद के लिए प्रशासन, पुलिस और समाजसेवियों से सहयोग ले रही है। जिला प्रशासन अपनी कर्तव्यनिष्ठा पर अडिग है और शोकाकुल परिवार की मदद के लिए तत्परता और संवेदनशीलता से खड़ा है। एसडीएम गोपाल सिंह चौहान, समाजसेवी शिखर पालीवाल, पुलिसकर्मी पीड़ित परिवार के संपर्क में है।
दीप गंगा अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर पीबी—1112 में रिटायर्ड भेलकर्मी एनजी श्रीवास्तव अपनी पत्नी अल्पता श्रीवास्तव के साथ रहते थे। अल्पना श्रीवास्तव भेल सेक्टर चार स्थित विद्या मंदिर इंटर कालेज से सेवानिवृत्त है। जबकि उनके पति एनजी श्रीवास्तव एजीएम के पद से रिटायर्ड हुए। दोनों ने बच्चों को शिक्षा और संस्कार दिए। जिसके बाद बच्चे अमेरिका में नौकरी करने लगे। दोनों बुजुर्ग दंपत्ति हरिद्वार में ही अपना जीवन गुजार रहे थे। लेकिन परिवार पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब एनजी श्रीवास्तव को कोरोना संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया। होम आईसोलेशन में उनका इलाज शुरू हो गया। लेकिन गुरूवार को एनजी श्रीवास्तव ने दुनिया से विदाई ले ली। कोरोना ने एक जिंदगी लील ली। बुजुर्ग पत्नी अल्पना घर में अकेली और पति के शव को देखकर बिलखने लगी। ऐसे में उनके साथी शिक्षक व पत्रकार डॉ रजनीकांत शुक्ल को दुख के वक्त याद किया। अल्पना के पति की मृत्यु की खबर सुनते ही डॉ रजनीकांत शुक्ल मदद को आगे आए। वही समाजसेवी शिखर पालीवाल ने मृतक के शव को मोर्चरी में रखने का प्रबंध किया। बेटे को अमेरिका से बुलाने के लिए एसडीएम गोपाल सिंह चौहान से मदद ली। बेहद ही दयालु हृदय एसडीएम गोपाल सिंह चौहान बुजुर्ग दंपति के सहयोग करने के लिए आगे बढ़े और जिम्मेदारी को संभाल लिया। वह उनके बेटे निशिथ श्रीवास्तव का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में जुटे है। ताकि बेटे को अमेरिका से हरिद्वार बुलाया जा सके। इसके अलावा शव को मोर्चरी में रखने की व्यवस्था भी की जा रही है। हालांकि समाजसेवी शिखर पालीवाल ने बुजुर्ग एनजी श्रीवास्तव के जीवन को बचाने के लिए आखिरी सांस तक सेवा की। आक्सीजन उनके घर तक पहुंचाया गया। लेकिन बुजुर्ग को बचाया ना जा सका। कुछ ऐसे ही दर्दनाक दौर से इंसानी जीवन गुजर रहा है। जिसको अस्पताल में बेड मिल गया वह सुविधाओं के लिए हंगामे कर रहा है और कोई आक्सीजन के लिए तड़प रहा है। जिलाधिकारी सी रविशंकर एक—एक इंसान के जीवन को बचाने के लिए पूरे प्रयास कर रहे है। महामारी ने संसाधनों को कम कर दिया। चिकित्सक भगवान बनकर इंसान का जीवन बचाने के लिए खुद कोरोना से जंग लड़ रहे है।
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