कांग्रेस विधायक ममता राकेश के बेटा—बेटी के भाजपा में शामिल होने की वजह, वायरल ऑडियों





नवीन चौहान
हरिद्वार के भगवानपुर के एक घर में उत्तराखंड की तीनों बड़ी पार्टियों के नेता मौजूद है। परिवार के सभी सदस्यों की विचारधारा अलग है या फिर सरकार में दबदबा कायम रखने का नया फार्मूला।मजबूरी जी हां भगवानपुर से कांग्रेस विधायक ममता राकेश के पुत्र अभिषेक राकेश और बेटी आयुषी राकेश ने आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। फिलवक्त आयुषी क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुई है। जबकि अभिषेक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव के पद पर थे।
बताते चले कि भगवानपुर विधानसभा की राजनीति एक घर पर आकर ही ठहरती है। यह घर पूर्व केबिनेट मंत्री सुरेंद्र राकेश का है। बतादे कि कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में भगवानपुर के तत्कालीन विधायक सुरेंद्र राकेश की तूती बोलती थी। उनका नाम कददावर नेताओं में शुमार था। लेकिन बीमारी के चलते उनका आकस्मिक निधन हो गया। जिसके बाद उनकी राजनैतिक विरासत को लेकर गृह युद्ध छिड़ गया। स्वर्गीय सुरेंद्र राकेश के भाई सुबोध राकेश ने अपनी भाभी ममता राकेश से बगावत कर दी। जबकि कांग्रेस ने ममता राकेश को राजनीति के मैदान में उतार दिया। ममता भगवानपुर से चुनाव जीतकर विधायक बन गई। जब​कि देवर सुबोध राकेश ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और करारी हार का सामना किया। बस इसी वक्त ममता राकेश और उनके देवर सुबोध राकेश के बीच कुर्सी की जंग छिड़ी। सुबोध राकेश अपने भाई की जगह पर राजनैतिक विरासत को संभालना चाहते थे। लेकिन उनकी प्रबल महत्वकांक्षा को बड़ा झटका लग चुका था। राजनीति के क्षेत्र में ममता राकेश अपने पति की विरासत को पूरी तरह संभाल चुकी थी। एक शिक्षिका से विधायक बनी ममता राकेश का मधुर स्वभाव जनता में उनको लो​कप्रिय बना रहा था। जिसके चलते वह लगातार दूसरी बार विधायक बनी। लेकिन भाभी से नाराज देवर सुबोध ने भाजपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। सुबोध राकेश को भाजपा ने पूरा सम्मान दिया लेकिन उसकी महत्वकांक्षाओं को मुकाम नही मिल पाया। सुबोध राकेश बसपा को संभाल रहे है। ​
अब बात करते है कि विधायक ममता राकेश के बेटे अभिषेक और और बेटी आयुषी राकेश की। जिन्होंने आज ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। अभिषेक को जिला पंचायत चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके पीछे की वजह उनका एक ओडियो बताया जा रहा है।
विधायक ममता राकेश ने बताया कि बच्चे बड़े हो रहे है। अपना निर्णय लेने में स्वतंत्र है। मां भगवती के पावन नवरात्रि में उनको मां का आशीर्वाद मिला है। मां का आशीर्वाद सदैव अपने बच्चों के साथ है। लेकिन मेरा भाजपा में जाने का कोई इरादा नही है। अभिषेक की नाराजगी की वजह बताई के अभिषेक श्रीचंदी से बीडीसी का चुनाव लड़ रहा था। पार्टी के शीर्ष नेता ने अभिषेक को हराने का प्रचार किया। जिसकी ओडियो वायरल हो गई। चुनाव हारने और अपनी ही पार्टी के नेता के व्यवहार से आहत होकर उसने अपना निर्णय किया। यह अभिषेक का अपना व्यक्तिगत निर्णय है। इसके अलावा मुझे कुछ नही कहना।



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