कमजोर साबित हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी, याद आ रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत




नवीन चौहान.
प्रदेश का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बनाया जाना पार्टी का कहीं गलत फैसला तो नहीं साबित हो रहा। ऐसा हम नहीं कह रहे जनता के बीच से ऐसी आवाज आने लगी है। लोग एक बार फिर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्यकाल याद करने लगे हैं। लोग कह रहे हैं पुष्कर सिंह धामी एक कमजोर सीएम साबित हुए। उन्होंने जो भी फैसले लिए दबाव में लिए, जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हमेशा जनता के हितों को सर्वोपरि मानते हुए फैसले लिए।

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस तरह से चार साल तक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलायी, प्रदेश में सुशासन का राज दिया उसे लोग याद कर रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कांग्रेस के दिग्गज यशपाल आर्य और हरक सिंह रावत की भी मनमानी नहीं चलने दी। तीन मंत्रियों के पद रिक्त होने के बावजूद चार साल तक बेहतर तालमेल वाली सरकार चलायी। उनका कार्यकाल बेदाग रहा किसी तरह का कोई आरोप उनकी सरकार पर नहीं लगा।

ईमानदार नौकरशाही दी
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में प्रदेश ईमानदार नौकरशाही की तैनाती कर सुशासन चलाया। ऐसे नौकरशाह तैनात किये जो जनता की सुने और उनकी समस्याओं का समय से निस्तारण कराये। ऐसे अफसरों की तैनाती होने से जनता को भी त्वरित न्याय मिलने लगा था। इन्हीं इमानदार अफसरों की वजह से प्रदेश में अवैध कब्जे, अवैध खनन आदि का खेल तो रूक ही गया साथ ही सिफारिश से होने वाले ट्रांसफरों पर भी रोक लग गई थी।

जनहित के कार्यों को दी प्राथमिकता
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में जनहित के कार्यों को प्राथमिकता दी। ऐसे योजनाएं लाए जो प्रदेश की जनता के हित में थी और भविष्य में प्रदेश के विकास में सहयोगी बनती। महिलाओं के लिए कई योजनाएं लेकर आए, उनमें संपत्ति में महिलाओं को अधिकार देने वाला निर्णय भी काफी लोकप्रिय रहा। इसके अलावा पिथौरागढ़ और हरिद्वार में मेडिकल कॉलेज दिये। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया, जौलग्रांट और पंतनगर को इंटरनेशनल हवाई अडडा बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया, किसानों को तीन लाख रूपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिलाया, गन्ना भुगतान कराया, रूरल ग्रोथ सेंटर खोलकर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का रास्ता खोला।

पुष्कर धामी करते रहे खुद को सरेंडर
वहीं दूसरी ओर जनता का कहना है कि पुष्कर सिंह धामी कुछ फैसलों के आगे खुद को सरेंडर करते नजर आए। देवस्थानम बोर्ड को लेकर उन्होंने जो वापसी का फैसला लिया उसे लोग सही नहीं मान रहे। लोगों का कहना है कि यह बोर्ड यदि सही तरीके से काम करता तो प्रदेश के लिए एक स्थायी आय का जरिया बनता। धार्मिक यात्रा से जुड़े कारोबार को लाभ होता, लेकिन कुछ लोगों के विरोध के चलते इस महत्वपूर्ण फैसले को वापस लेकर धामी ने अपने आपको कमजोर कर लिया।

धर्मशालाओं के टैक्स पर एक कदम पीछे
धर्मशालाओं पर लगने वाले कामर्शियल टैक्स को वापस लेकर भी धामी ने संतों के आगे सरेंडर करने का कार्य किया, लोगों का कहना है कि धर्मशालाएं अब कामर्शियल हो गई हैं तो फिर उन पर टैक्स भी कामर्शियल लगना चाहिए था। पुष्कर सिंह धामी के ऐसे अनेक फैसले हैं जिन्हें जनता अब खुलकर नकारने लगी है। अपने कार्यकाल में पुष्कर सिंह धामी चाट पकौड़ी खाते हुए फोटो खिंचवाने तक ही सीमित दिखायी दिये, जिन योजनाओं का उन्होंने शिलान्यास या लोकार्पण किया वह पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विजन वाली योजनाएं थी।

पार्टी हाईकमान को भी लग रहा झटका
पार्टी के अंदर ही यह बात भी उठने लगी है कि कुछ लोगों के कहने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाना पार्टी का सही निर्णय नहीं रहा। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से लोग अब खुलकर धामी सरकार के खिलाफ बोलने लगे हैं उससे कहीं न कहीं पार्टी हाईकमान को भी यह लगने लगा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाना कहीं गलत साबित न हो जाए। इस समय चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस प्रदेश में सरकार बना रही है, यदि ऐसा हुआ तो इसके पीछे धामी सरकार की ही कार्यशैली पर सवाल उठने लाजमी है।



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