भाजपा: जीती बाजी हार गए हम, किस्मत ही कुछ ऐसी थी




नवीन चौहान.
विधानसभा चुनाव में कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसका पता 10 मार्च को चलेगा, लेकिन इस समय कांग्रेस दावा कर रही है कि वह पूर्ण बहुमत के साथ जीत कर आ रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी।

कांग्रेस के इस दावे से भाजपा के माथे पर शिकन की लकीरें देखने को मिल रही है। ऐसे में भाजपा की स्थिति जीती हुई बाजी हार जाने के समान होती दिख रही है। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी, इसी उपलब्धि के सहारे वह इस बार 60 प्लस सीटों का दावा कर चुनाव मैदान में थी।

एक साल पहले तक सब ठीक था, प्रदेश में त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री थे और उन्होंने चार साल तक प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन किया। प्रदेश में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया। लेकिन अचानक कुछ विधायकों के दबाव में आकर पार्टी हाईकमान ने अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटा दिया और उनके स्थान पर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया। बात यहीं समाप्त नहीं हुई, चार महीने बाद तीरथ सिंह रावत को भी सीएम पद से हटा दिया गया और उनके स्थान पर पुष्कर सिंह धामी को नया सीएम बनाया। चार महीने में दो सीएम बदलने से भाजपा की छवि प्रभावित हुई।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जो छवि भाजपा की बनायी थी वह उनके कुर्सी से हटते ही धीरे धीरे गिरने लगी। शायद यही कारण रहा कि प्रदेश की जनता ने भाजपा सरकार को नकारना शुरू कर दिया। जिसका खामियाजा इस चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ रहा है। चर्चाओं की बात करें तो इस बार कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ा है, जिससे प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस की राह आसान होती दिख रही है।

राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि यदि प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन चला रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को न हटाया जाता तो आज स्थिति कुछ और होती। शायद पार्टी हाईकमान भी अब इस बात को मान रहा है कि उसने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर गलती है। पार्टी को अब फिर से त्रिवेंद्र सिंह रावत की अहमियत दिखायी दे रही है।

ऐसा अंदाजा इसलिए भी लगाया जा रहा है कि जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आवागमन हुआ है वह कुछ बड़ा होने का इशारा कर रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी भी दिल्ली से लौटकर सीधे त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे। ऐसे में कहा यही जा रहा है कि कहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाकर भाजपा ने प्रदेश में अपनी जीती बाजी हार तो नहीं दी है। खैर भाजपा के अंदर क्या चल रहा है यह भी जल्द ही सामने आ जाएगा, लेकिन तब तक हमें 10 मार्च को चुनाव परिणाम सामने आने का इंतजार करना होगा।



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