विजय सक्सेना.
उत्तराखंड की वर्तमान पुष्कर सिंह धामी सरकार ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम रहते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने की अर्जी दी है। वर्तमान सरकार के इस फैसले से पार्टी कार्यकर्ता भी हैरत में है। यह एसएलपी 27 अक्तूबर 2020 को उमेश जे कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
जानकारी के अनुसार इस मामले में हाईकोर्ट ने उमेश कुमार की याचिका में की गई शिकायतों के आधार पर राजद्रोह के मुकदमे को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के विरोध में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। दायर की गई एसएलपी में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मांग की थी कि राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए।
हाईकोर्ट के सीबीआई जांच संबंधी मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की एसएलपी और राजद्रोह की एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में हरेंद्र सिंह रावत की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में दायर की गई इस एसएलपी को वापस लेने के लिए अर्जी दिये जाने की खबर सामने आने से पार्टी कार्यकर्ता भी अचंभित हैं। कार्यकर्ताओं के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिरकार प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ही सरकार की ही दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को वापस लेने का निर्णय क्यों लिया।